उज्जैन आनंद विभाग द्वारा उज्जैन जिले में अल्पविराम कार्यक्रम के अंतर्गत तृतीय अल्पविराम कार्यशाला दिनांक 2 जून 2018 को पीएचई परिसर में कार्यशाला का आयोजन किया गया! कार्यक्रम में जिले के मास्टर ट्रेनर्स द्वारा आनंद में रहते हुए अपने कार्य के प्रति निरंतर कैसे रहा जाए और कार्य में असुविधा होने पर क्रोध की स्थिति के बीच नियंत्रण कैसे रखा जाए, यह बताया गया! श्री शैलेंद्र सिंह डाबी प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी तारामंडल, श्री शैलेन्द्र व्यास (स्वामी मुश्कराके) प्रधानाचार्य, श्री राजेंद्र प्रकाश गुप्त, अधीक्षक वेधशाला, श्री हरीसिंह कुशवाह, प्राध्यापक एवं आनंदक श्री स्वामीनाथ पांडये मास्टर्स ट्रेनर्स उपस्थित थे। तारामंडल (बसंत विहार) प्रभारी श्री डाबी ने बताया कि आनंद सभी में स्वयं का बसा हुआ है। अपने कार्य में निरंतरता रहे और क्रोध नियंत्रण में रहे तो आनंद स्वयं से उत्पन्न होता है! वेधशाला के प्रभारी श्री राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि,हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होंगे तो हमारे हर कार्य चाहे वह घर के हो, शासकीय हो या सामाजिक कार्य हो, प्रभावित होंगे इसलिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य जरूरी है! डॉ. स्वामी नाथ पांडेय ने बताया कि, हम सब अपनी-अपनी प्रकृति से जीवन जीते हैं कोई परिस्थिति अपने अनुकूल ना हो तो उसे बदल दो या उस परिस्थिति के अनुसार बदल जाओ!
मास्टर ट्रेनर्स द्वारा कहा गया कि उज्जैन पीएचई स्टाफ द्वारा उन्हें पूरा सहयोग किया गया, और पीएचई कार्यालय के कार्यालय प्रमुख श्री सुनील उदिया द्वारा अपने स्टाफ के साथ तीनों कार्यशाला में हिस्सा लिया, इससे उत्साह प्राप्त हुआ है, भविष्य के लिए जिले के अन्य विभाग प्रमुखों द्वारा भी इसी प्रकार का सहयोगात्मक रवैया प्राप्त हो ऐसी आशा की गई! इस अवसर पर श्री अमृत सलूजा ने अल्पविराम कार्यशाला से अपने खुद में व्यवहार में आये सकारात्मक बदलाव के परे में अपने अनुभव साझा किये, श्री राजेश ऑंधारे जी ने भी इस अवसर पर अपने विचार सभी से साझा करते हुए आयोजक से निवेदन किया की अल्पविराम के ऐसी गतिविधिया निरंतर आयोजित की जनि चाहिए, इस से कार्यालय और कार्यालय के अधिकारी कर्मचारियों में सकारात्मक और आनंदित वातावरण निर्मित होता है जो की आनंद के कार्य करने को सभी को प्रेरित करता है! कार्यक्रम का संचालन डॉ.प्रवीण जोशी आनंदक ने किया! आभार श्री सुनील उदिया कार्यपालन यंत्री, उज्जैन पीएचई (ग्रामीण) विभाग ने माना!
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