*आनंद और खुशी हमारे आस पास ही है बस खोजने का नज़रिया चाहिए*
हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।मानव जीवन का उद्देश्य है कि अपने मन, वचन और काया से औरों की मदद करना। हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, मानसिक शांति और आनंद का अनुभव होता है। वे अपनी आत्मा से ज़्यादा जुड़े हुए महसूस करते हैं, और उनका जीवन संतोषपूर्ण होता है। जबकि स्पर्धा से खुद को और दूसरों को तनाव रहता है।आज जन्मदिन पर निकले आत्मीय आनंद की अनुभूति करने ,सुबह से निकल पड़े बिस्किट, चॉकलेट,ओर समोसे लेकर में जहां भी डेरे दिखे उन बेघर लोगो के बच्चों का मनाया जन्मदिन उनकी खुशी में अपनी खुशियां ढूंढने के प्रयास किया ऐसे लगभग 100 बच्चों से मित्रता की,थोड़ी सी खाद्य सामग्री पाकर बच्चों की खुशी और उल्लाहस देख कर मन प्रसन्न हो उठा ,शायद इससे ज्यादा खुशी बहुत कम अवसरों पर होती है। दोपहर एक जरूरतमंद रोगी व्यक्ति को रक्तदान कर मानवता का धर्म निभाने का प्रयास किया ।मेरे विचार में यही सच्चा आनंद है।
विजय मेवाड़ा
आनंदम सहयोगी इंदौर
फोटो :-
डाक्यूमेंट :-
Document - 1