*इंदौर सात सत्रों के अल्पविराम में बताए आनंदमयी जीवन जीने के 4 मूल मंत्र*
महिला बाल विकास विभाग इंदौर हेतु 7 सत्रों का अल्पविराम कार्यक्रम बल निकेतन में दि 20 से 24 नवम्बर तक आयोजित किया प्रतिदिन अल्पविराम का अभ्यास करते हुए कैसे खुश रहते हुए अपनी कार्य क्षमता को बढ़ाया जा सकता है ,अपने व्यवहार में हमें किस प्रकार के बदलाव करने की आवश्यकता है,अपने अंतर्मन की आवाज को सुनकर हम कैसे सदमार्ग की ओर अग्रसर हो सकते है आदि। विषयों पर प्रकाश डालते हुए में आत्म पोषण हेतु प्रकृति के सानिध्य में सभी लोगो ने मैं आनंद में दुनिया आनंद में गतिविधि द्वारा उत्साहवर्धन किया।तत्पश्चात 20 मिनिट का अल्पविराम दे प्रकृति के प्रति हमारे क्या दायित्व है क्यों कि प्रकृति निस्वार्थ भाव से हमारी
सेवा करती है, प्रकृति का अवलोकन कर ,देखें की प्रकृति हमें क्या प्रेरणा देती है? श्रीमती प्रीती परिहार द्वारा अपना विचारों को साझा किया गया। आनंदम सहयोगी विजय मेवाड़ा एवम श्री प्रफुल्ल शर्मा जी द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को आनंदमयी जीवन के 4 मूलमंत्र बताए गए।
सुखी जीवन का आनंद लेने के चार मूल मंत्र
1.यदि आप यह चाहते है कि सब आपको प्रेम करें तो, सबसे पहले आप सभी के साथ प्रेमपूर्ण व्यव्हार करना आज से ही प्रारम्भ करें।
2.मदद:-अपने संसाधनों और अपनी शक्ति का प्रयोग दूसरों की सेवा में करें।जितने लोगो की आप मदद करेंगे उतने मित्र और आपके शुभचिंतक बढ़ते जायेंगे।
3.तल्लीनता:-अपना अतिरिक्त समय ध्यान संगीत,कला,प्रकृति स्वकार्य आदि में मगन हो जाएं।4 नज़रे बदलो तो नज़ारे बदल जायेंगे:-जीवन में नकारात्मकपहलुओं में भी सकारात्मकता खोजने का द्रष्टिकोण रखना। और अपने अंदर भी सकारात्मक परिवर्तन करना।
उक्त चारो तरीकों को सभी ने अपनी नोट बुक में नोट करते हुए।7 सत्रों के अल्पविराम का सकारात्मक फीडबेक दिया।और इसका नियमित अभ्यास करने हेतु आश्वस्त किया।
*मैं आनंद में ,दुनिया आनंद मैं*
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