उद्यानिकी विभाग उज्जैन में २३ अधिकारी/कर्मचारियों के बेच की दिव्तीय अल्पविराम कार्यशाला (19 सितम्बर 2017) में प्रतिभागियों का आनंद की वर्तमान स्थति के परीक्षण पांच प्रश्नो के सात ऑप्शन वाली प्रक्रिया से निष्पक्ष आत्मविश्लेषण करने की गतिविधि राजेंद्र गुप्त द्वारा कराकर प्राप्त निष्कर्षो पर चर्चा की गई ! शैलेन्द्र सिंह डाबी द्वारा विश्लेषण से प्राप्त आनंद की स्थतियो को बढ़ाने में सहायक अल्पविराम का अभ्यास कराया गया ! उन्होंने विभिन्न प्रश्नो पर अल्पविराम करा कर अल्पविराम (आत्मा की आवाज सुनने) के दौरान प्राप्त विचार और अनुभवों का विश्लेषण कर आत्मसन्तुष्टि, सकारात्मक और सहयोगात्मक व्वहार के फायदे के बारे में विस्तार से बताया, उन्होंने अल्पविराम से अपने मुखौटो को हटाकर जैसे है वैसे रहकर जीवन का आनंद में वृद्धि के बारे में कहा की इससे बहुत सारा तनाव और उलझनों से निदान मिलता है जिससे वयक्ति और उसके आसपास आनंद का वातावरण निर्मित होता है जिसमे आनेवाले सभी आनंदित होते है! सिर्फ आपने दृश्टिकोण और स्वयं की पहल से ही हमारी कार्यशमता की वृद्धि के साथ साथ हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है! उन्होंने अल्पविराम को अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में शामिल करने को सभी प्रतिभगियों को प्रेरित किया! उन्होंने बताया की हम गलत व्वहार असुरक्षा की दृस्टि से करते हुए शुरू करते है और भी ये आदत में शामिल होने लगती है जिससे तनाव और जीवन में उलझने बढ़ने लगती है और हम और उलझते जाते है! और फिर हम अपने साथ और कइयों को उलझनों में शामिल करते जाते है जो की एक नकारत्मकता का वातावरण आपने आप निर्मित होने लगता है जिससे सभी खासकर हम एकदम अनजान रहते है और अपने आनंद/ख़ुशी या चेन खोने लगते है! इसका समाधान अल्पविराम (अपनी आत्मा की आवाज) के बहुत अच्छे से होता है! उन्होंने कहा की आगे के दिनों में हम गहन और देरतक अल्पविराम में कैसे आगे बड़े के बारे में अभ्यास करेंगे! उन्होंने आपने उध्बोधन एक स्वस्थ खेल खिलाकर समाप्त किया! शैलेन्द्र व्यास (स्वामी मुश्कराके) ने आपने खिलखिलाने वाले अंदाज में सभी को खूब हसकर आनंदित किया! परमानंद डाबरे ने कार्यशाल का संचालन किया! उद्यानिकी विभाग के उद्यान विकास अधिकारी श्री सुनील सिरसर ने धन्यवाद और श्री के. सी. चावड़ा, विकास अधिकारी ने आभार प्रकट किया!
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