भारतीय शास्त्रों में दान की महिमा का बखान किया गया है परंतु दान ऐसा हो कि जिस हाथ से दान दे रहे हैं उस हाथ को पता न चले अर्थात् जिसे दे रहे हैं वो लेते समय उसे छोटा महसूस न करे एवं देने वाले में बड़प्पन का भाव न आए यही दान वास्तव में सर्वश्रेष्ठ है। इसी उद्देष्य पूर्ति की परिकल्पना है ‘‘दुआओं का घर‘‘। इस घर में जिनके पास आवश्यकताओ से अधिक वस्तुएं हैं वो यहां लाकर रख सकते है और जो जरूरतमंद है वे अपनी जरूरत के हिसाब से निःसंकोच ले जा सकते हैं। इस घर का शुभारंभ दिनांक 04/01/2017 को किया गया। इस अवसर पर अनेक लोगों द्वारा अपने घर में उपलब्ध सामग्री को इस दुआओं के घर में रखा गया जिसे जरूरतमंद लोग अपनी इच्छानुसार ले जाने लगे हैं। इस घर में खिलौने एवं कपड़े भी रखे गए। समाजसेवी शारदा सोनी ने इस घर को हमेशा अपना योगदान देने को कहा तथा अपने घर की अनुपयोगी गरम कपड़े लाकर रखे। इसी तरह सोनम मिश्रा ने पांच बोरी में अपने घर की सामग्री लाकर रखी जिसे जरूरतमंद लोग ले गए। इस अवसर पर सोनम मिश्रा ने कहा कि वह बहुत दिन से इन सामग्रियों के बारे में सोच रही थीं कि इन सामग्रियों को किसे ले जाकर दें परंतु इस घर में सामग्री लाकर रखने से उनकी दुविधा समाप्त हो गई तथा उनके द्वारा रखी गई सामग्री को जरूरतमंद लोग ले जाने लगे। इस घर की शुरूआत करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती संपतिया उइके ने कहा कि यह पहल निश्चित रूप से बहुत ही अच्छी है । इस अवसर नगरपालिका अध्यक्ष श्री बाबा मिश्रा ने अपना एक माह का मानदेय देने की घोषणा की। इस शुभारंभ अवसर पर समाजसेवी, पीड़ित बच्चे एवं अन्य लोग शामिल हुए। इस घर में एक सूचनाफलक भी लगाया गया है जिसमें जरूरतमंद अपनी आवश्यकता एवं जिस व्यक्ति के पास जो सामग्री उपलब्ध है,लिखकर जा सकता है एवं जिन व्यक्तियों के पास जो अधिक वस्तुएं हों वहां रख सकते हैं। कई शालाओं के बच्चों ने अपने पास उपलब्ध अनुपयोगी किताबें कापियां रखी जिसे जरूरतमंद बच्चों ने पुस्तके एवं अन्य पढ़ने लिखने का सामान लेकर गए ।
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