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आत्महत्या दुख व समस्या का हल नहीं, इससे आगे निकलेंगे तो जिंदगी बहुत खूबसुरत है,

प्रेषक का नाम :- विजय मेवाड़ा जिला समन्वयक इंदौर
स्‍थल :- Indore
12 Sep, 2023

इंदौर। भारत में हर साल होने वाले सुसाइड केस के आंकड़े डराने वाले हैं। भारत में हर साल 1 लाख से ज्यादा आत्महत्याएं होती हैं। इसी पर नियंत्रण पाने के लिए विश्व इस स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सुझाव पर हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इंदौर में , इसके तहत स्कूली विद्यार्थियों , की मनःस्थिति को समझ विकसित करने के उद्देश्य से गुजरती समाज महाविद्यालय विजयनगर मे आयोजन किया गया इसमें शिक्षा विभाग कर्मचारी अशासकीय. विद्यालओं के शिक्षक एवंसामाजसेवी ,विद्यार्थियों से संवाद हुआ।संस्थान के जिला समन्वयक विजय मेवाड़ा एवं मेडिकल एवं फार्मा सेक्टर के एक्सपर्ट श्री निलेश तिवारी ने श्रोताओ को विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में हर साल लगभग 1 लाख लोग अलग-अलग वजहों से आत्महत्या करते हैं। पूरी दुनिया में हर सेकंड में कोई न कोई आत्महत्या करने की कोशिश करता है। हर साल दुनिया के 8 लाख लोग सुसाइड करते हैं।, ‘ऐसा तब होता है जब लोग तनावपूर्ण मानसिक स्थिति में पहुंच जाते हैं और सोचने लगते हैं कि अब जीवन में कुछ नहीं बचा है तो उनके मन में आत्महत्या के विचार आ जाते हैं।’ उन्होंने कहा कि आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर 15 से 29 साल के लोग होते हैं। आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर किशोर और युवा हैं।यह स्थिति क्यों निर्मित हो रही है चिंतनीय विषय हैउन्होंने आगे कहा कि पारिवारिक तनाव के अलावा, ज्यादातर लोगों की आत्महत्या का मुख्य कारण पढ़ाई का दबाव , , परीक्षा की समुचित तैयारी ना हो पाना 10वीं 12वीं का परीक्षा परिणाम हो या फिर मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की असफलता बेरोजगारी एवं कर्ज है। ऐसे 80 प्रतिशत मामलों में आत्महत्या को रोका जा सकता है। शोध से पता चलता है कि आत्महत्या को रोकने का सबसे अच्छा तरीका इसके पहले मिलने वाले संकेतों को समझना है। जैसे अवसाद, चिढ़चिढ़ापन, अकेले रहने की आदत आदि। इन्हें समझ कर व्यक्ति का समय पर उपचार किया जा सकता है।निर्लेश तिवारी जी ने आत्महत्या करने वाले लोगों के व्यवहार में परिवर्तनों के बारे में भी बताया जो इस प्रकार होते हैं। दोस्तों से अचानक अलग हो जाना और अकेले रहने लगना। अपनी प्रिय वस्तुएं किसी को दे देना, अचानक वसीयत बनाना। अत्यधिक तेज़ गाड़ी चलाने जैसे खतरनाक जोखिम उठाना। अचानक से मूड परिवर्तन होने लगना। अधिक या कम खाना या सोना। नशीली दवाओं या शराब का सेवन बढ़ाना। इस तरह के परिवर्तन आत्महत्या करने वालों में सामान्यत: देखे जाते हैं।श्री विजय मेवाड़ा में बताया इस साल आठ माह में (जनवरी से अगस्त तक) शहर के लगभग लोगों ने मौत को गले लगाया। इनमें 80 लोगों की उम्र 45 वर्ष से कम है। इनमें ज्यादातर महिलाएं व विद्यार्थी भी शामिल हैं। पारिवारिक विवाद में 22, बेरोजगारी में 5, प्रेम प्रसंग में 7, आर्थिक तंगी में 8, मानसिक तनाव में 24 समेत अन्य कारणों से सेकड़ों लोगों ने आत्महत्या की। लेकिन खुद का खत्मा समस्या का हल नहीं है। जो लोग इससे उबरे हैं, वे आज हंसी-खुशी जीवन बिता रहे हैं। जानिए ऐसे तीन लोगों को जिन्होंने आत्महत्या के चंगुल से खुद को उबारा और सफल हुए।केस 1 एक व्यक्ति दिनेश (45) लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी के कारण बच्चों की स्कूल की फीस और न किराया दे पा रहा था। उसका बिजनेस ठप हो गया था। उन्होंने नींद की गोली खा ली थी, लेकिन उनकी जान बच गई। अपने निराशा पूर्ण कार्य पर पछतावा कर , आत्मविश्वास फिर से जगाया आज बिजनेस पुनः स्थापित रहे सुखी जीवन जी रहे है।केस 2प्रदीप कुमार सेन , यह व्यक्तित्व् है जो हर युवा के लिए प्रेरणा स्रोत है 8 वर्ष पहले एक ट्रेन हादसे में इनका एक पेर् कट गया जीवन में सिवाय हताशा और निराशा के कुछ नहीं था खुद के अंदर परिस्थिति से लड़ने का जज्बा विकसित किया विकलांगता को अपने ऊपर हावी नहीं होने देने का जज्बा खुद के अंदर पैदा कर विश्व शांति के लिए, कृत्रिम पैर के साथ 12 हज़ार किलोमीटर साइकिल से भारत भ्रमण कर् बनाया विश्व कीर्तिमान वर्तमान मे फिल्मों के काम कर रहे हें।केस 3कॉलेज की छात्रा ने पारिवारिक कारणों से आत्महत्या का मन बना लिया था। छात्रा कॉलेज में भी हर समय उदास रहती थी। उसने बताया था कि पारिवारिक कारणों से आत्महत्या करना चाहती हूं। फिर छात्रा की काउंसिलिंग की गई। छात्रा अब ग्रेजुएशन के साथ एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी नौकरी भी कर रही है। आत्महत्या मानसिक कमजोरी का परिचायक है अगर कोई इस स्थिति में है वह केवल कुछ समय के लिए अपने आप पर नियंत्रण कर ले सब सामान्य और पूर्ववत हो जाता है जीवन अनमोल है इसे इतने सस्ते में खर्च ना करें।अभी अभी गत माह लगभग 10 लोगों ने इंदौर मे सुसाइड किये आज कल महंगाई व , वह नियंत्रित खर्च के कारण कर्ज होना और इसकी वजह से सामुहिक् आत्महत्या , परिवार सहित आत्महत्या के प्रकरण की संख्या विगत वर्षों में बड़ी हैकोटा के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में 8 से लेकर 23 अगस्त के बीच 4 विध्यर्थियो द्वारा की आत्म हत्या जैसी घटनाओ से चिंताजनक स्थिति बनती जा रही है जब अपनों मे अचानक व्यवहार परिवर्तन दिखें, तो जरूर ध्यान दें,जैसे अचानक निराश दिखना और हमेशा खामोश रहना।  परिवार व दोस्तों से दूर रहने लगना, चुपचाप रहना।  निराशाजनक बातें व व्यक्तित्व में परिवर्तन आना।तनाव होने पर क्या करें-तनावग्रस्त व्यक्ति को अकेला ना छोड़ें।,तनाव का कारण जानने का प्रयास करें।किसी काउंसलर या मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।अपने किसी नजदीकी दोस्त या रिश्तेदार से बात करें।माता-पिता या अपने से बड़े-दोस्तों को तनाव का कारण बताएं।किसी भी युवा के मन में आत्महत्या का विचार आए ही नहीं, ऐसा वातावरण तैयार करना परिवार के साथ-साथ समाज की भी बड़ी जिम्मेदारी है।


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