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आनंद सभा के दौरान छात्रा का सवाल खुद में जांच परख की प्रक्रिया कैसे शुरू करें?

प्रेषक का नाम :- लखनलाल असाटी जिला संपर्क व्यक्ति छतरपुर
स्‍थल :- Chhatarpur
11 Sep, 2023

छतरपुर, आनंद सभा के अंतर्गत रामपुर में एक छात्रा का सवाल था कि वह खुद में जांच परख की प्रक्रिया कैसे शुरू करें, निर्णय लेते वक्त खुद में जांच परख की स्पष्टता नहीं है, प्राचार्य लखन लाल असाटी ने प्रस्ताव विधि से सभी विद्यार्थियों से संवाद कर समाधान का प्रयास किया, उनका ध्यान इस ओर दिलाया गया कि मानव के कार्य- व्यवहार में बाहर जो दिखाई देता है इसका निर्णय कहीं न कहीं वह विचार स्तर पर अपने अंदर पहले ही कर चुका होता है बाहर तो वह सिर्फ निर्णय लागू करता है, इसका एक आशय यह भी है कि कई बार विचार प्रक्रिया इतनी तेज होती है कि हमें पता ही नहीं लगता है और हम निर्णय ले चुके होते हैं, निर्णय लेते वक्त यदि हमारा ध्यान पहले से बैठी हुई मान्यताओं और धारणाओं पर जाता है तब हम अधिकतर सही निर्णय नहीं ले पाते, मान लीजिए  *धारणा यह है कि पैसा ही सब कुछ है*  *या सीधी उंगली से घी नहीं निकलता*  तब हम जो भी निर्णय लेंगे वह सार्वभौमिक अर्थात सभी काल व्यक्ति और स्थान के अनुसार उचित तो नहीं होगा, संवेदना अर्थात इंद्रियों शब्द, रूप, रस, गंध, स्पर्श के आधार पर लिया गया निर्णय भी स्थाई नहीं हो सकता है संवेदना के बदलते ही निर्णय बदल जाएगा,अब यदि हमारा ध्यान हमारे अंदर प्रकृति प्रदत्त स्वाभाविक रूप से बनी हुई सहज स्वीकृति अर्थात सही समझ की ओर जाता है तब निर्णय सार्वभौमिक और मानवीय होता है इस तरह मान्यताओं और संवेदनाओं के परे सहज स्वीकृति की ओर ध्यान जाना ही खुद में जांच परख है


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