6 जिलों के शिक्षकों के लिए हैप्पी क्लास रूम का आयोजन
छतरपुर। महर्षि विद्या मंदिर छतरपुर में पन्ना, टीकमगढ़, सागर, अमरपाटन, दमोह, नौगांव एवं छतरपुर के शिक्षकों के लिए संचालित तीन दिवसीय इन हाउस ट्रेनिंग प्रोग्राम में हैप्पी क्लास रूम विषय पर आनंदम् सहयोगी लखनलाल असाटी द्वारा संवाद किया गया। व्यक्ति अपने जीवन का एक तिहाई शिक्षा में लगा रहा है पर क्या उसके बावजूद वह सुखपूर्वक जी पाता है। यह आज शिक्षकों के सामने बड़ी चुनौती है। कोई प्रोडक्ट काम नहीं कर रहा है तो उसे हम बदल सकते हैं पर 25 साल की शिक्षा लेने के बाद बच्चे को बदलने कहां जाएं। देखने जाते हैं तो शिक्षा और कौशल पहले से बेहतर हैं। सुविधाएं भी पहले से बेहतर हैं परन्तु हमें लगता है कि हमारी पुरानी पीढ़ी हमसे अधिक सुखी थी। इसका आशय है कि ऐसी कोई मौलिक चीज है जिसकी तलाश में हम लगे हुए हैं। शिक्षा में जो गेप है उसे दूर करने की जरूरत है। मानव व्यवस्था में जब तक व्यक्ति मैं और मेरे शरीर दोनों की आवश्यकताओं और क्रियाओं को अलग-अलग नहीं देख पाता है तो सुख की सुनिश्चितता नहीं रह पाती है। पेड़ पौधे का आचरण उसके बीज पर निर्भर है। पशुओं का आचरण उनके वंश पर निर्भर है और मानव का आचरण उसके शिक्षा, संस्कार पर निर्भर है। देखने में आता है कि मैं की आवश्यकताओं को शरीर की आवश्यकताओं से पूरा करने के प्रयास में जीवन सुविधा संग्रह में लगा दिया है पर सुविधा की निरंतरता नहीं बनी रह सकती जिस कारण सुख भी निश्चित नहीं हो पा रहा है। सही समझ और सही भाव से मैं और शरीर की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। प्राचार्य चन्द्रकांत शर्मा ने सत्र को अत्यंत उपयोगी बताते हुए कहा कि मन की गांठें खोलने के लिए आनंद विभाग का कार्यक्रम अद्भुत है यह आंतरिक बीमारियों को दूर करने का रास्ता बताता है। आनंद विभाग वही बात करता है जो हमारे अनुभव में दिखाई देती है।
फोटो :-
डाक्यूमेंट :-
Document - 1