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 देवास - में मना अन्‍तर्राष्‍ट्रीय प्रसन्‍नता दिवस

प्रेषक का नाम :- डॉ. समीरा नईम, समन्‍वयक एवं डिस्ट्रिक्‍ट प्रोग्राम लीडर राजय आनंद संस्‍थान देवास
स्‍थल :- Dewas
24 Mar, 2023

राज्य शासन की मंशानुसार आंनद की गतिविधियों का प्रदेश स्तर पर विस्तार किया जाए।इसी  तारतम्य में प्रत्येक जिले में शासकीय विभागों, निजी  संस्थानों एवं आम नागरिकों के लिए आफ लाइन एक दिवसीय अल्पविराम परिचय कार्यशाला का आयोजन 20 फ़रवरी से 20 मार्च 2023 तक किया जा रहा है इसी क्रम में राज्य आंनद संस्थान भोपाल के मार्गदर्शन में, देवास जिले के आदरणीय कलेक्टर महोदय श्री ऋषव गुप्‍ता के निर्देशन में तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी महोदय, श्री प्रकाश सिंह चौहान आनंद विभाग  के नोडल अधिकारी  के सहयोग से बनी योजना के अनुरूप, जिले में ऑफलाइन एकदिवसीय अल्पविराम परिचय की अंतिम कार्यशाला का आयोजन दिनांक 20 मार्च 2023 को देवास जिले के जिला मुख्यालय पर जिला पंचायत देवास के सभाकक्ष में सफलतापूर्वक किया गया।इस कार्यशाला में शासकीय एवं अशासकीय प्रशिक्षणार्थियों के साथ, नगर के गणमान्य नागरिकों ने उत्साह एवं आंनद पूर्वक भाग लिया। तथा पूरे समय उत्सुकता एवं सक्रिय भागीदारी के के साथ उपस्थित रहे।  कार्यक्रम की शुरुआत,डॉ समीरा नईम,संभागीय समन्वयक आनन्द विभाग तथा सम्मानीय अतिथियों श्रीमती निहारिका सिंह,एडीजे, श्री प्रकाश कांत,वरिष्ठ साहित्यकार एवं श्रीमती सुषमा माहूरकर वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गयी । दीप प्रज्वलन के बाद,प्रेरणागीत हमको मन की शक्ति देना मन विजय करे, सभी ने मिलकर गाया। इसके बाद डॉ नईम ने अल्पविराम कार्यक्रम का उद्देश्य, अवधारणा का परिचय दिया। सभी ने मिलकर राज्य आनंद संस्थान के परिचय का विडियो देखा। हमारे प्रदेश में हो रहे आनंद विभाग के प्रयास पर संक्षिप्त जानकारी दी गयी। डॉ नईम ने ताली और मेरी क्षमता की गतिविधि को करवाया तथा ये संदेश दिया कि हम स्वयं खुद को कितना कम आंकते हैं।झारखंड से श्री प्रदीप महतो एवं शाजापुर से श्री शिरीष सुमन शर्मा मास्टर ट्रेनर,राज्य आंनद संस्थान के विशेष आग्रह पर उपस्थित हुए। मास्टर ट्रेनर श्री शिरीश सुमन शर्मा जी  एवं श्री प्रदीप महतो जी ने आनंद क्या है!! कैसे बढता व घटता है! तथा जीवन का लेखा जोखा कैसे बनाया जाए, अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए इस पर विचार रखते हुए, शांत समय लेने तथा आने वाले विचारों को लिखने के लिए प्रेरित किया।  प्रतिभागियों को उत्तम क्षमा का विडियो दिखाया गया। इसके बाद प्रतिभागियों का भोजनावकाश किया गया। अगला सत्र रिश्तों का रहा, जो विडियो से भी कनेक्ट करता है। यह सत्र सबको काफी भावुक कर  देता है। हाथ पर पेन रखने की गतिविधि की गयी। हम कितना कुछ अपने दिमाग में अनचाहा बोझ  लंबे समय तक रखते हैं और परिणामस्वरूप अपने संबंधों पर आंच आती रहती है। मेरे रिश्तों का मैप बोर्ड पर बना कर दिखाने, तथा जिन रिश्तों में दूरी आ गयी उनको मधुर बनाने में, मुझे  अल्पविराम ने दलदल से बाहर निकलने में बहुत मदद की, और कुछ रिश्ते बेहतर हुए, तथा यह प्रक्रिया सतत जारी है। यह सत्र होने पर अल्पविराम लेने और अपने अनुभवों को साझा करने के लिए प्रेरित करने की ज्यादा कोशिश नहीं करनी पडी। सभी लोग खुल कर बोले। सबने अटूट रिश्ते का विडियो देखा और सराहा।इसके बाद अब तक इस्तेमाल किए मुख्य शब्द, जिन पर हम सबको काम  करते रहना है, इसकी चर्चा हुई। सबने मिलकर सही सूची बनायी, कृतज्ञता, अहं छोडना, माफ करना, माफी मांग लेना, स्वयं को  स्वीकार करना, मदद, दया, करुणा, स्नेह भाव रखना, आदि।कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने फीडबैक के रूप में अपने दिनभर के अनुभव को साझा किया। आनन्द टीम द्वारा बहुत ही जोश में पूरे कार्यक्रम का सारांश तथा प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। कुल मिलाकर यह कार्यशाला एक अनुठी पहल थी जो राज्य आंनद संस्थान के द्वारा प्रत्येक विकासखंड में की जा रही है।कार्यशाला के अंत मे आभार आनन्दम सहयोगी डॉ गजेंद्र शर्मा द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में आनन्दम सहयोगी सुश्री हीना राठौर, दिव्या परमार, सुश्री कृपाली सिंह राणा,दीपक पोरवाल आदि का विशेष सहयोग रहा। एक दिवसीय अल्‍पविराम कार्यशाला मे प्रतिभागियों द्वारा दिए गए फीडबेक के महत्‍वपूर्ण अ‍नुभव हमेशा सकारात्‍मक सोच रखने का प्रयास करना। एक-दुसरे के प्रति सहयोग की भावना रखते हुए कार्य करना । यह प्रयास करना की हमारे द्वारा कोई दु:खी न हो। अपने क्रोध पर काबू रखकर शांत रहने का प्रयास करना । स्‍वयं मे परिवर्तन करके आपस मे प्रेम एवं सोहार्द बनाए रखना । नि:स्‍वार्थ भाव से दुसरो की मदद करना। बिना किसी को जाने उसके विषय मे पूर्वानुमान नही लगाना । अपनी ग‍लतियों को स्‍वीकार करना तथा उन्‍हें सुधारना। पर्यावरण सुधार हेतु कार्य करना । किसी भी प्रकार का निर्णय लेने के पूर्व एकबार शांतचित्‍त रहकर मनन करना एवं फिर निर्णय लेना। रोजगारोन्‍मुखी कार्येां से समाज को लाभान्वित करने का प्रयास करना ।