केंद्रीय जेल ,सतना में तीन दिवसीय अल्पविराम सत्र का आयोजन
केंद्रीय जेल, सतना में राज्य आनंद संस्थान, आनंद विभाग, भोपाल के मास्टर ट्रेनर द्वारा जेल अधीक्षक श्रीमती लीना कोष्ठा के मार्गदर्शन एवं जेलर श्री एस. के. त्रिपाठी, अधिकारी श्री अनिरुद्ध तिवारी एवं पांडे जी के उपस्थिति में बंदियों के व्यवहार एवं विचारों में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु राज्य आनंद संस्थान की अवधारणा "अल्पविराम" की तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई हैं।* *प्रथम दिन की शुरुआत मां सरस्वती पर दीप प्रज्वलन एवं सुश्री पुनीत कौर मैनी की प्रार्थना से की गई । उसके बाद अनिल कांबले, डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम लीडर, आनंद संस्थान, कटनी द्वारा आनंद विभाग के संक्षिप्त परिचय एवं आनंद विभाग द्वारा किए जाने कार्यों की जानकारी उपस्थित जनों को दी गई । तत्पश्चात जेल अधीक्षक श्रीमती लीना कोष्ठा द्वारा बंदियों को उद्बोधन दिया गया। अल्पविराम के महत्व पर चर्चा करते हुए अनिल कांबले ने बताया कि सब कुछ हमारा होते हुए भी हमने अपना रिमोट कंट्रोल किसी दूसरों को दे रखा है। हम दूसरों से संचालित होते हैं । "अल्पविराम" के माध्यम से हम स्वयं से संचालित हो सकते हैं। प्रथम दिन बंदियों को बताया गया कि आनंदित रहने के लिए हमें बहुत कुछ जोड़ने की आवश्यकता नहीं है बल्कि हमने जो ईर्ष्या, द्वेष, बैर इत्यादि अपने मन में जोड़ कर रखा है उसे छोड़ने की आवश्यकता है। दुनिया में सफल व्यक्ति वह नहीं है जो बहुत धनवान है या बहुत सफल सफल है, शोध में यह बात निकल कर आई है कि जिन्होंने अपने संबंधों को निभाया है, जिन्होंने अपने रिश्तो को निभाया है वही व्यक्ति सबसे ज्यादा आनंदित है । उसके बाद पुनीत कौर मेनी मैहर एवं आकाश तिवारी सतना ने बंदियों से आनंद के विषय में विभिन्न जानकारी प्राप्त की कि उनका स्वयं का आनंद क्या है ? आनंद कैसे बढ़ता है ? उनका स्वयं का आनंद कैसे घटता है ?* *कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरुआत सुंदर सी प्रार्थना के बाद बंदियों को बताया गया यदि हम प्रकृति को देखें या अन्य चीजों को देखें तो हर चीज में संतुलन की आवश्यकता है। एक छोटी सी साइकिल चलाने के लिए भी हमें संतुलन की आवश्यकता होती है । इसी प्रकार जीवन को हम संतुलित कैसे कर सके, सत्र के माध्यम से बताया गया कि हम लोगों की प्रति कृतज्ञता प्रकट करके, लोगों को माफ करके या हमारे द्वारा हुई गलतियों की माफी मांग कर भी हम आनंदित हो सकते हैं, बस लोगों को माफ करने में या लोगों से माफी मांगने में थोड़े से साहस की आवश्यकता होगी, जिसे हमें स्वयं ही जुटाना होगा। जेल अधिकारियों एवं बंदियों ने अपने अनुभव भी साझा किए।* *कार्यशाला के अंतिम दिवस बंदियों के बीच सुंदर सी प्रार्थना के बाद संक्षिप्त चर्चा के साथ सुश्री पुनीत कौर मैनी, मैहर एवं आकाश तिवारी, सतना द्वारा बंदियों से चर्चा के दौरान बताया गया कि यदि समस्या हमारी है तो उसका समाधान हम बाहर ना खोज कर हम अपने भीतर खोजे क्योंकि समस्या हमारी है तो उसका समाधान भी हमारे पास ही होगा, बस आवश्यकता है कि हम स्वयं से जुड़ कर उस समस्याओं को पहचाने, सुधार के अवसर को जाने जिससे हमें स्वयं ही एक दिशा प्राप्त होगी कि हम उस समस्या का समाधान किस प्रकार करें । इस सत्र को आगे बढ़ाते हुए एक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से मास्टर ट्रेनर अनिल कांबले द्वारा किए गए प्रयोग के माध्यम से स्वयं के भीतर किस तरह कमियों को पहचाना और उन कमियों को किस तरह दूर किया, बंदियों से सत्र के दौरान चर्चा की । उसके बाद बंदियों ने अपने अनुभव साझा किए* *आज सत्र के अंतिम दिवस एवं समापन अवसर पर जेल अधीक्षक श्रीमती लीना कोष्ठा द्वारा तीन दिवसीय कार्यशाला को बंदियों के लिए उपयोगी बताते हुए आगामी दिनों में भी राज्य आनंद संस्थान की "अल्पविराम कार्यशाला" केंद्रीय जेल, सतना में आयोजित करने हेतु अपील की । इसके साथ उन्होंने भी अपने अनुभव साझा किए। साथ ही जेल अधिकारी श्री अनिरुद्ध तिवारी जी द्वारा भी अनुभव साझा करते हुए सत्र को एक उपयोगी पहल बताते हुए आगामी दिनों में इस तरह की कार्यशाला आयोजित करने की संभावनाएं बताई* *तीन दिवसीय सत्र आयोजित करने में राज्य आनंद संस्थान के मास्टर ट्रेनर अनिल कांबले, कटनी एवं सुश्री पुनीत कौर मेनी एवं आनंदम सहयोगी आकाश तिवारी ने सहयोग प्रदान किया।*
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