चिंताओं के बवंडर को शांत करें,ताकि हमारे कदम, आनंद की ओर स्वतः बढ़ते चलें
राज्य आनंद संस्थान इंदौर द्वारा भेरुलाल पाटीदार महाविद्यालय महू में अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता के उपलक्ष्य में "अल्पविराम" कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें जीवन में कैसे खुश रहा जाये, अपनी चिंताओं को कैसे दूर किया जाए, इस विषय पर चिंता का दायरा एवं प्रभाव के दायरे टूल द्वारा उदाहरण के साथ मास्टर ट्रेनर विजय मेवाड़ा ने बताया कि कैसे हम बहुत सी ऐसी समस्याओं से भी बेवजह चिंतित रहते हैं जिनका हल हमारे प्रभाव में नहीं है। व्यक्तिगत रूप से जिन चिंताओं पर हम कार्य कर सकते हैं, उन पर ध्यान केंद्रित करें। विकट परिस्थिति में भी सकारात्मक द्रष्टिकोण व समस्या पर किया गया चिंतन समस्या का हल खोजने का प्रथम पायदान है विषय में विद्यार्थियों को अवगत कराया तथा संवाद किया। श्रीमती भगवती ओसारी ने कहा मैंने अपने घर ते आगे एक आम का पेड़ लगाया पड़ोसी को रोड से रेती का ट्रक ले जाना था उसने पेड़ को उखाड़ने की बात कही जिस पर मेरी पड़ोसी से झड़प हुई मैंने कहा तुझसे हो उतना जोर लगा ले पेड़ तो नहीं हटेगा आज प्रोग्राम के दौरान उन्होंने कहा मेरी चिंता का समाधान कैसे होगा।उनको अल्पविराम के लिए प्रश्न दिया प्रश्न था - मेरे द्वारा लगाया पेड़ सड़क मार्ग में बाधक तो नहीं है,यदि आज तीन फीट के पेड़ के कारण ट्रक नहीं निकल पा रहा है तो पेड़ बड़ा होने पर किसी आस पड़ोसी को मेडिकल इमरजेंसी होने पर एम्बुलेंस पहुंचने का रास्ता तो रहेगा?5 मिनिट बाद ओसारी जी ने कहा हमारे दुख तकलीफ में रिश्तेदार तो बाद में आते है सबसे पहले पड़ोसी अपना धर्म निभाते है। मेने अज्ञानतावश पेड़ रोड पर लगाया है ओर पड़ोसियों से बहस भी की,आज उसे निकालकर मोहल्ले में मंदिर के बगीचे में लगाउंगी पूरे मोहल्ले को आम भी खिलाऊंगी।आज दिन भर से इस झगड़े की वजह से बैचेन थी,मुझे चिंता का समाधान मिल गया। "मदद" विषय पर आनंदम सहयोगी दिनेश चौधरी ने प्रतिभागियों को चिंतन कराते हुए कहा आनंद के भाव को दूसरों की मदद कर महसूस किया जा सकता है जिन्होंने हमारी मदद की उनके प्रति कृतज्ञ भाव से दिया गया,धन्यवाद उन्हें और अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित करेगा।आनंदम सहयोगी राजेश सिसोदिया ने स्पस्ट किया, यदि हमारी वजह से किसी को दुख पहुंचा है या हमारे किसी के साथ बुरा बर्ताव हुआ है तो उसका बोझ कहीं ना कहीं हमारे मन मे घर कर हमारे आनंद मैं बाधक बन जाता है इस भार से मुक्त होने के लिए उस व्यक्ति से क्षमा मांग कर अपने मन को हल्का किया जा सकता हैं। रंगमंच से जुड़े आनंदक श्री पवन निम ने एक स्किट्स के माध्यम परिवार से अलग अकेले रह रहे बुजुर्गों की दशा को दर्शाने का प्रयास किया।, छात्र कनक पटेरिया, जुगल किशोर अंजना, प्रमिला ठाकुर, भगवती ओसारी, कविता काम्बले आदि ने अपनी समस्याओं को रखा, व स्वतः समाधान खोजने पर चिंतन किया।इस अवसर पर जन अभियान परिषद के संभागीय समन्वयक श्री अमित जी शाह, विकासखण्ड समन्वयक श्रीमती आरती बर्वे, नवांकुर संस्था के सदस्य एवं मेंटर्स उपस्थित रहे।
फोटो :-
डाक्यूमेंट :-
Document - 1