जेल परिसर श्योपुर में कैदियो के बीच आयोजित हुआ अल्पविराम
श्योपुर- मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के साप्ताहिक कार्यक्रम की श्रृंखला मे राज्य आनंद संस्थान आनंद विभाग द्वारा जिला जेल परिसर में केदियो के बीच अल्पविराम का सत्र आयोजित किया गया जिसमें राज्य आनंद संस्थान के जिला संपर्क आनन्दक राजा खान राज्य आनंद संस्थान के मास्टर ट्रेनर प्रदीप मुदगल जी, विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरा लीगल वालिंटियर आनन्दक भारत भूषण जी,संगीता गुप्ता जी के साथ जेलर विजय मौर्य जी भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम के शुरुआत में मास्टर ट्रेनर राजा खान ने कैदियों को आंनद विभाग का परिचय दिया साथ ही उनको उनकी क्षमताओं को जानने के लिए 30 सेंकेंड में ताली बजाने की गतिविधियों से कार्यक्रम की शुरुआत की ।ओर कैदियों को बताया कि जेल में रहकर भी आप आनंदित रह सकते है हम इस अल्पविराम के माध्यम से आपकी परिस्थितियों को नही बदल सकते मगर आपकी मनोस्थिति को बदल सकते है आपको यह सोचते हुए दुःखी नही होना चाहिए कि हम जेल है क्योंकि आपको तो पता है सारी सृष्टि में आनंद देने वाले हमारे तो भगवान वासुदेव श्री कृष्ण का जन्म तो इसी कारागार की काल कोठरी में हुआ था हमे मन से खुश रहना चाहिए क्योकी हम आनंद को ढूढ ते रहते है मगर आनन्द तो हमारी अंतरात्मा में है हमे अपनी अंतरात्मा को जानने का प्रयास करना चाहिए और उसी कार्य को अल्पविराम से किया जाता है
अल्पविराम का परिचय देते मास्टर ट्रेनर प्रदीप मुदगल जी ने अपने जीवन मे आनंद के लिए जो परिवर्तन किए है उनको सांझा किये ओर लाइफ बेलेंस शीट के दो प्रश्न मुझे किस किस ने दुख दिया और मैने किस किस को दुःख दिया इन पर अपने अनुभव साझा किए और बताया कि आप जितना बाहर आनंदित हो सकते हो उससे भी कही ज्यादा आप अंदर भी आनंदित रहे सकते हो आपको कही नही झांकना आपको अपने अंदर ही झांकना है आप यहां से सीख कर जाए सुधर कर जाए और अपने परिवार के साथ फिर से आनंदित रह सकते है एक नई शुरुआत आपके जीवन को नई दिशा प्रदान कर सकती है इसी के साथ भारत भूषण जी ने भी अपने अनुभव शेयर किये और बताया कि हमे छोटी छोटी चीजों में खुशियाँ ढूढ़नी चाइए हमारा जीवन अनमोल है मुझे भी ऐसा लगता है कि आनंद जो है बाहर है मगर जब खुद में देखा तो पता चला कि आनंद तो एक भाव है जो हमारे अंदर है कार्यक्रम को अंत मे आभार व्यक्त करते हुए जेलर मौर्य जी ने कहा कि हमने कभी इनको कैदी नही बोला और हम केदियो की नजरों से इन्हें देखते भी नही है यह तो हमारे बच्चे है और एक परिवार के रूप में हम सब रहते है में तो चाहता हु की इनके बीच ऐसी रचनात्मक गतिविधिया होती रहे जिससे कि इन्हें यहां से कुछ सीख कर जाने का अवसर मिल सके।
कार्यक्रम के अंत मे सभी कैदियों को मिठाई बांटकर कार्यक्रम का समापन किया गया
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डाक्यूमेंट :-
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