इंसान जिन्होंने कठिन समय में हमारी मदद की,क्यों न उनकी प्रेरणा से हम भी समाज में जरूरतमंदों की मदद करें।
राज्य आनंद संस्थान द्वारा सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने हेतु चलाए जा रहे कार्यक्रम के तहत सांवेर तहसील ग्रामों के स्वयं सहायता समूहों के साथ अल्पविराम परिचय कार्यक्रम आज सुबह 7 बजे प्रकृति के सानिध्य में आयोजित किया गया जिसमें ज्यादातर शासकीय विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले स्वयं सहायता समूह के सदस्य थे जिन्हें प्रेरित करते हुए अन्नपूर्णा की उपमा देकर उन्हें प्रोत्साहित किया गया साथ ही अल्पविराम के दौरान जीवन के लेखे जोखे पर चर्चा हुई .
इस दौरान प्रश्न था विगत समय जब लॉकडाउन लगा था सब कुछ बंद था आर के साधन शून्य हो चुके थे ऐसे में किन-किन लोगों ने आपकी मदद की?संतोष बाई प्रजापत ने कहा- लोग काम की कमी से भूखे लाचार थे - और अगली फसल बोने के लिए पैसे नहीं होने के कारण, एक बहुत बड़ा खाद्य संकट पैदा हो गया है। ऐसे मे ग्राम के संपन्न लोगों ने अनाज व उधार पैसे दिए कुछ सामग्री दी कुछ दिन काम चला फिर गहने बेचे जैसे तैसे समय कटा आज भी उन मदद करने वाले लोगों को हाथ जोड़कर प्रणाम उनका एहसान मरते दम तक नहीं भुला पाएंगे।अगला प्रश्न था विपरीत समय मे जिन लोगों ने हमारी की क्या हमने भी मदद पाकर हमसे भी ज्यादा परेशान व्यक्ति की मदद की ? सभी ने अपने साझा किया मंजू बाई बैरागी ने कहा गांव में अकेले रहने वाले 80 वर्ष के परशुराम बा ओर उनकी पत्नी दोनों।गांव में अकेले रहते हैं।ईनके बच्चे बाहर इंदौर रहते हैं उनके पास पैसा तो था पर खाने को कुछ नहीं था मेरे बेटे राहुल उनके लिए राशन पानी की व्यवस्था की और कभी कबार खाना भी बना कर आए।आज बा तो भगवान घर चले गए पर उनके दिए हुए आशीर्वाद हमारे साथ है।आज सब याद आता है तो सोच कर बहुत अच्छा लगता है।
मास्टर ट्रेनर विजय मेवाड़ा ने कहा कि जिन जिन लोगों ने आपकी मदद की वह इस दुनिया के अच्छे इंसान हैं क्या हम सब भी उनकी तरह अच्छे इंसान बनकर उनकी की मदद को समाज में लौटाएंगे।
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