अपने समय का कुछ अंश दान कर, किसी के सुखद जीवन की इबारत लिखें,यही तो है अपना आनंद
समाज सेवा या जरूरतमंदों की मदद करने के लिए केवल धन ही आवश्यक हो यह सही नहीं है अन्य भी बहुत से तरीके है जिनसे केवल अपना समय , देकर,किसी का आत्मविश्वास जगाकर भी आप किसी के जीवन को रोशन कर सकते हैं ऐसा ही एक तरीका हमारा भी है। दृष्टिबाधित दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई निरंतर जारी रहे और वे प्रगति और उन्नति की ओर अग्रसर हो इसी उद्देश्य से राज्य आनंद संस्थान इंदौर आनंदको द्वारा ऐसे बच्चे जो दृष्टिबाधित दिव्यांग है वे सामान्य बच्चों की तरह परीक्षा नहीं दे सकते उनकी परीक्षा संपन्न कराने हेतु राइटर की आवश्यकता होती है। घर में कोई पढ़ा लिखा नहीं होने या समय पर किसी राइटर की सहायता नहीं मिलने पर कभी-कभी इन दिव्यांगों को परीक्षा से वंचित भी होना पड़ता है पर अब इंदौर में इनकी समस्याओं का समाधान आनंदको ने किया है।
जिला संपर्क व्यक्ति राज्य आनंद संस्थान विजय मेवाड़ा ने बताया इंदौर में हमारे आनंदक करण कुशवाहा एवं आनंदक टीम इंदौर द्वारा इस क्षेत्र में कार्य करते हुए इंदौर जिले के दृस्टिबधित दिव्यांग छात्र छात्राओं जिन्हें परीक्षा हेतु राइटर की आवश्यकता होती है फ्री परीक्षा पूर्व राइटर हेतु आवश्यकता बताते हैं और सामुदायिक प्रयास से राइटरों की व्यवस्था टीम द्वारा की जाती है। विद्यार्थी यदि आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है तो राइटर के आने-जाने का खर्च भी टीम द्वारा वहन किया जाता है। ऐसे ही कक्षा ग्यारहवीं एवम स्नातक के छात्रों की परीक्षा दे देने हेतु राइटरो की आवश्यकता थी हमारे कैंपेन संयोजक करण कुशवाहा एवम टीम के प्रयासों से 1 दिन में 5 परीक्षा केंद्रों पर हमारे राइटर्स पहुंचें और ब्लाइंड छात्रों की मदद की, इन सभी साथियों के परिवार के संस्कारों को नमन है।इन छोटे राइटर छात्रों ने आज इन जरूरतमंदों का पेपर लिखकर ब्लाइंड छात्रों को आगे बढ़ने का मौका दिया।इसी क्रम में 8 राइटर साथियों ने ग्रेजुएशन कर रहे दिव्यांग छात्रों को आगे बढ़ने का मौका दिया।मदद के हज़ारों तरीके हैं जैसे एग्जाम सेंटर पर चार दिव्यांग बच्चों को ऑटो में बैठकर लाते"मुकेश वर्मा जी" ऑटो चलाते हैं लेकिन सेवाभाव इतना शानदार कि दृष्टिबाधित छात्रों की 11वी की परीक्षा के लिए उनकी बच्ची जो दृष्टिबाधित दिव्या के उसकी समस्याओं के साथ उसकी अन्य 2सहेली के आने जाने की समस्या को समझते हुए अपनी बच्ची के साथ दो अन्य बच्चियों को भी निशुल्क रूप से नेहरू नगर से रोज ऑटो से बड़ा गणपति पर परीक्षा केंद्र पर लाते हैं और लेकर जाते हैं। ऐसे ही अधिकांश अभिभावक बच्चों को लाते हैं।"इन जैसे अभिभावकों को और बच्चों को पूरा शहर नमन करता है।" हर पेपर में जब सेंटर पर उनसे मिलता हूँ तो गौरान्वित महसूस होता है।
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डाक्यूमेंट :-
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