70 से 90 वर्ष के वयोवृद्ध, युवाओं ने सहभागिता कर कहा- जीवन मे नई चेतना और समाज में हमारी भी उपयोगिता सिद्ध करता "आनंद उत्सव"*
राज्य आनंद संस्थान आत्म अध्यात्म विभाग के निर्देशन में चलाए जा रहे आनंद उत्सव के तहत जिलाधीश मनीष सिंह एवं निगम आयुक्त श्रीमती प्रतिभा पाल जी के निर्देशन में जेष्ठ नागरिक संस्था परिसर लोकमान्य नगर में आनंद उत्सव का आयोजन विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों हेतु किया गया । इस कार्यक्रम में सभी आयु वर्ग के लोग बच्चों युवा वर्ग एवं बुजुर्गों सभी ने सम्मिलित रूप से सहभागिता की। वयोवृद्ध बुजुर्ग श्री अरविंद गोडबोले 86 वर्ष आनंद उत्सव में लोगों को सहभागिता करते देख स्वयं भी सहभागिता करने की इच्छा जाहिर की जिस पर जिला समन्वयक विजय मेवाड़ा एवं चिंटू तोमर द्वारा तुरंत उनसे बात की एवं उनके रुचि के खेल केरम की व्यवस्था की जिसे देखकर लोगों को मुन्नाभाई फ़िल्म का दृश्य याद आया।कैरम पर वयोवृद्ध बुजुर्ग जो आसानी से चलफिर नहीं सकते हैं,उन लोगों ने अपनी उंगलियों के जादू से स्ट्रॉइगर द्वारा क़वीन और कवर को कब्जाया ।
80 वर्षीय श्री भागवत जी द्वारा जीवन का फलसफा बयान करता गीत- ये जीवन है इस जीवन का यही है रंग रूप गाकर सभी को अपनी जीवन यात्रा से रूबरू कराया। विश्वास देवल जी ने उड़ी उड़ी रे पतंग मेरी उड़ी रे गीत गाकर जीवन के पुराने पन्नों को पलटने और अविस्मरणीय यादों को पुनर्जीवित किया। श्री प्रभात अंबारडेकर ने पुरुषों की चेयर रेस में प्रथम स्थान प्राप्त किया। मातृशक्ति की ओर से ममता धौलपुर अनीता डंडेरे ने लंगडी एवं ऊंची कूद जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त किया। महिलाओं की नींबू रेस में करुणा बंबावडे ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। बच्चों ने डांस एवं लंगड़ी पव्वा मैं सहभागिता की अध्यक्ष श्री अनिल चितांबरे जी 76 वर्षीय ने कहा चेहरे पर अनुभवों की सिल्वटें जब झुर्रियों के रूप में उभर आती हैं, तब ज़िंदगी काफ़ी बदल जाती है. एक लंबा अनुभव साथ होता है, लेकिन उन अनुभवों को बांटने के लिए उनके अपनों के पास ही व़क्त नहीं होता. ऐसे में बुज़ुर्ग ख़ुद को महत्वहीन समझने लगते हैं।जीवन के इस पड़ाव में हम आसपास के क्षेत्र के सभी बुजुर्ग इकट्ठे होकर हम एक दूसरे का सहारा और सहयोग बनकर काम करते हैं,कुछ बुजुर्ग परिवार के साथ तो कुछ कुछ के बच्चे बाहर सेटल है वे अकेले रहते हैं, कुछ शारीरिक स्वास्थ्य के आधार पर, पारिवारिक बंदिशों की जकड़ने भी हैं, ऐसे में आनंद उत्सव जैसे आयोजनों में हमारी सहभागिता ने आज हमें पुनः युवा होने का एहसास दिलाया साथ ही परिवार और समाज के साथ मिलजुलकर खेलो एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हमारी सहभागिता समाज में आज भी हमारी उपयोगिता को सिद्ध करते हुए परस्पर मैत्री ओर वरिष्ठ जनों के प्रति आदर और सम्मान का भाव देखने को मिला।शासन का यह अद्भुत प्रयास आज यह निश्चित रूप से हमारे शेष जीवन में खुशी और आनंद का संचार करने के लिए एक उत्प्रेरक का कार्य करेगा। इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी प्रशासन एवम समन्वयक मेवाड़ा जी,दीपेंद्र तोमर जी एवं सभी आयोजकों का आभार।
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