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 स्वयं का विश्लेषण शुरू करें, तो जीवन की समस्याओं का समाधान स्वतः ही मिल जाएगा- श्री अखिलेश अर्गल

प्रेषक का नाम :- विजय मेवाड़ा जिला संपर्क व्यक्ति DPL समीरा नईम, शिरीष सुमन शर्मा
स्‍थल :- Indore
26 Sep, 2021

कोरोना संक्रमण की विषम परिस्थितियों से जूझने के बाद आज हर कोई खुशी आनंद एवं सुकून पाने की लालसा रखता है खुशी कहीं और नहीं हमारे अंदर ही निहित है केवल उसे जागृत करने, उसे खोजने की आवश्यकता है, इसी तारतम्य में राज्य आनंद संस्थान अध्यात्म विभाग के निर्देशन में पांच दिवसीय ऑनलाइन आनंदम अल्पविराम कार्यक्रम दिनांक 20 से 24 सितंबर 2021तक आयोजित किया गया जिसमे सहभागिता हेतु 40 लोगों ने अपना पंजीयन कराया। पांच दिवसीय सत्र का संचालन प्रो. समीरा नईम श्री शिरीष सुमन शर्मा श्री विजय मेवाड़ा श्री बालकृष्ण शर्मा एवं श्रीमती आशा असाटी द्वारा संपन्न कराया।

इस आनंद यात्रा में प्रतिभागियों को यह जानने का मौका मिला, आनंद को कैसे अनुभव किया जा सकता है? स्वयं कैसे आनंदित रहे? समाज के लिए हम कैसे आनंद का कारक बने? छोटी-छोटी बातों से भी कैसे बड़ी-बड़ी खुशियां हासिल की जा सकती है? इन प्रश्नों पर चिंतन किया गया। सत्र के प्रथम दिवस राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अखिलेश अर्गल जी द्वारा राज्य आनंद संस्थान के उद्देश्यों और कार्यों की जानकारी देते हुए अल्पविराम को स्वयं से जुड़ाव का माध्यम बताया और कहा यदि हम दूसरों की जगह स्वयं का विश्लेषण शुरू करें तो जीवन की समस्याओं का समाधान हमें स्वतः ही मिल जाएगा। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ हमें मानसिक स्वास्थ्य पर भी कार्य करने की आवश्यकता है। श्रीमती आशा असाटी की प्रार्थना से करते सत्र की शुरुआत हुई, बालकृष्ण शर्मा द्वारा अल्पविराम से जुड़े अपने अनुभव साझा किए श्री शिरीष सुमन शर्मा जी द्वारा आनंद की ओर बढ़ने आनंद से साक्षात्कार करने हेतु अल्पविराम या शांत समय लेकर किस प्रकार पहल शुरू की जाए ताकि अवसाद से आनंद की ओर उत्तरोत्तर कदम बढते रहे स्पष्ट किया। द्वितीय दिवस प्रतिभागियों द्वारा शांत समय के चिंतन से सत्र का शुभारंभ किया गया श्री अखिलेश कुमार वर्मा द्वारा बहुत ही सुंदर प्रकृति का वर्णन करते हुए चांद तारे जो हमारे लीडर है हमें दिशा दिखाते हैं। प्रकृति इस भाग दौड़ भरी जिंदगी मैं कुछ पल ठहराव के भी हों, ऐसा संदेश देती है। गीतू जी ने कहा प्रकृति मुझे निष्काम कार्य करने की प्रेरणा देती है, जीवन में संतुलन का संदेश हमें मिलता है।सत्र को आगे बढ़ाते हुए प्रो. समीरा नईम द्वारा चिंताएं कैसे हमारे आनंद को नष्ट करती है यदि हम चिंताओं का उचित प्रबंधन करें तो निश्चित रूप से अवसाद की ओर बढ़ने से बच सकते हैं। तृतीय दिवस श्री विजय मेवाड़ा द्वारा जीवन का लेखा जोखा जैसे जिस तरह हम अपने लेनदेन रुपये पैसे का लेखा जोखा बही खाते में लिखकर एक एक पैसे का हिसाब रखते हैं उसी प्रकार अपने जीवन में किए गए अच्छे और बुरे कार्यों का लेखा भी रखें तो हमें किस दिशा में ज्यादा कार्य करने की आवश्यकता है, हम समाज में आनंद या दुख किसका कारक है हमें स्वतः पता चलेगा। जब हमारे द्वारा किसी व्यक्ति की मदद की जाती है तो उससे एक नया रिश्ता निर्मित होता है और रिश्तो का जीवन में क्या महत्व है रिश्तो को निभाने में की गई जरा सी चूक हमारे अपनों से हमें दूर कर देती है इस विषय पर श्रीमती समीरा जी ने अपने अनुभव साझा किये। चतुर्थ दिवस सत्र के प्रारंभ होने विजय मेवाड़ा द्वारा प्रतिभागियों के अनुभव जानते हुए अनजान लोगों द्वारा की गई उनकी मदद जिस से प्रेरित होकर उन्होंने समाज में जरूरतमंदों की मदद करने का संकल्प लिया । श्रीमती लीला भट्ट द्वारा मोरा मन दर्पण कहलाए सु मधुर गीत की प्रस्तुति दी, फ्रीडम क्लास द्वारा प्रतीकात्मक रूप से अपनी बुराइयों और सुधार के प्रयासों से सभी प्रतिभागियों को प्रो समीरा नईम द्वारा लोगों को प्रेरित किया गया।

सत्र को आगे बढ़ाते हुए श्री शिरीष सुमन शर्मा द्वारा अल्पविराम के प्रभाव को बताते हुए कहा अल्पविराम स्वयं से जोड़ने की प्रक्रिया है जब हम स्वयं से जुड़ेंगे स्वयं को समझेंगे तो हमारा अंतर्मन स्वयं से जुड़ाव स्थापित कर, हमारे अंदर व्याप्त बुराइयों का एहसास कराते हुए उसके सुधार के क्षेत्रों की ओर बढ़ने, एक नई दिशा एवं नया मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। अपने अनुभव साझा करते हुए डिंपल भगोरिया ने कहा कि में शारीरिक रूप से अक्षम हूँ स्पाइनल कार्ड में प्रॉब्लम है,ज्यादातर समय बेड रेस्ट पर ही रहती हूँ, जिस कारण परिवार के लोग भी मुझे महत्व नहीं देते मैं अवसाद ग्रस्त थी इस पांच दिवसीय अल्पविराम सत्र में सहभागिता कर सभी के अनुभव सुन पुनः जीने की उम्मीद जगी है।

पांच दिवसीय कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग श्री दीपक पोरवाल का रहा। प्रशिक्षण के अंतिम दिवस श्रीमती आशा असाटी जी द्वारा सभी प्रतिभागियों ने 2 घंटे के अल्पविराम के दौरान उनके अनुभव को जानने का प्रयास किया,अल्पविराम के दौरान मिली सकारात्मक सोच और ऊर्जा के साथ अपने अनुभव नरेंद्र पटेल प्रिशा वैद्य नरेंद्र पटेल रातनलाल मर्सकोले डॉ हेमंत कौशिक,गीतू नरयनी,डिंपल सोनी,डिंपल भगोरिया, सना काजी,सैय्यद सादिक अली आदि ने अपने अनुभव साझा किए। और अल्पविराम को बहुत ही प्रभावी बताते हुए नियमित अभ्यास हेतु आश्वस्त किया।


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