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खुश और आनंदित रहने के लिए केवल आर्थिक संपन्नता पर्याप्त नहीं है आंतरिक खुशी भी उतनी ही आवश्यक है‘

प्रेषक का नाम :- विजय मेवाड़ा जिला संपर्क व्यक्ति/समन्वयक राज्य आनंद संस्थान इंदौर
स्‍थल :- Indore
19 Aug, 2021

राज्य आनंद संस्थान ,अध्यात्म विभाग मध्यप्रदेश भोपाल के द्वारा वर्तमान परिदृश्य में खुशी एवं आनंद के प्रसार हेतु “”5 दिवसीय आनलाईन आनंदम अल्पविराम कार्यक्रम 2 से 6 अगस्त 2021 तक “’ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम को राज्य आनंद संस्थान के मास्टर ट्रेनर संचालित कर लोगों को खुशहाल जीवन जीने की विधा सिखा रहे हैं। राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अखिलेश अर्गल ने प्रतिभागियों से चर्चा के दौरान कहा जीवन में खुश रहने एवं आनंदित रहने के लिए केवल भौतिक संसाधन ही पर्याप्त नहीं है खुश रहने के लिए व्यक्ति का अंतर्मन से प्रसन्न होना भी आवश्यक है । सत्र के प्रथम दिवस मास्टर ट्रेनर श्री जितेश श्रीवास्तव द्वारा स्टेट टीम का परिचय देते हुए प्रतिभागियों से उनका परिचय एवं उनकी रूचि क्षेत्र पर बात की गई । डी. पी. एल. डॉ समीरा नईम ने बताया कि अपने स्वयं के जुड़े अनुभवों के आधार पर खुश रहने हेतु सबसे पहले खुद को पहचाने एवं अपने अंतर्मन द्वारा निर्दिष्ट मार्ग पर चलने और आप खुशी व आत्मीय संतुष्टि का आभास कर सकते हैं।

द्वितीय दिवस का सत्र रिश्तो पर आधारित रहा जिसमें डॉक्टर समीरा नईम द्वारा प्रतिभागियों को स्वयं परिवार एवं समाज इन तीन स्तरों पर अपने रिश्तो को पोषित कर मधुर एवं मजबूत बनाए ताकि यदि हमारा परिवेश सुखद होगा तो हम स्वतः ही आनंदित रहेंगे ।

सत्र के तृतीय दिवस प्रतिभागियों के अनुभव साझा के साथ मास्टर ट्रेनर विजय मेवाड़ा द्वारा अल्पविराम कार्यक्रम से जुड़ने के बाद कैसे उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए अपने अनुभव एवं जीवन से जुड़ी घटनाओं से प्रतिभागियों साक्षात्कार कराते हुए अनुभव स्वयं से जुड़ा वो होते हैं अपने अंदर की कमियों को पहचानना उनको सुधारने की और काम करना और फिर अपने अंतर्मन द्वारा निर्दिष्ट मार्ग पर चलना हमें आनंद की ओर अग्रसर करता है। खुशी और आनंद हमारे अंदर ही विद्यमान है उसे सक्रिय करने के माध्यम छोटी-छटी बातों में ढूंढ कर हम हंसी खुशी और आनंद का एहसास पा सकते हैं।

अगले सत्र में डी पी एल श्री शिरीष सुमन शर्मा जी द्वारा लाइफ बैलेंस शीट के माध्यम से प्रतिभागियों से चर्चा करते हुए किन-किन लोगों ने मेरी मदद की और मैंने किन-किन लोगों की मदद की इन प्रश्नों पर चिंतन कराते हुए फ्रीडम क्लास का उदाहरण देते हुए प्रतीकात्मक रूप से अपने अवगुणों को पहचानने और सुधारने की बात रखी। विजय मेवाड़ा द्वारा किसने मुझे दुख पहुंचाया और मैंने किस को दुख पहुंचाया? प्रश्नों पर अपने जीवन से जुड़े संस्मरण साझा किए प्रत्युत्तर में प्रतिभागियों द्वारा भी इन प्रश्नों पर उनके विचार साझा हुए। सत्र के अंतिम दिवस श्री जीतेश श्रीवास्तव द्वारा खुश रहने हेतु व्यवहार की मौलिक आवश्यकताओं के रूप में स्वयं में पवित्रता, ईमानदारी निस्वार्थता एवं प्रेम यह 4 शब्द को निश्चित रूप से आप के आंतरिक प्रसन्नता के कारक वन आनंद की ओर अग्रसर करने मैं बहुत ही प्रभावी है।

प्रतिभागियों की ओर से डॉक्टर दिनेश कश्यप ने अल्पविराम को जिंदगी की पाठशाला बताइ मनमोहन शर्मा चंद्रशेखर धाकड़ श्री विष्णु नागर डॉक्टर दिनेश चौधरी प्रोफ़ेसर कविता दिवे एवं अन्य प्रतिभागी साथियों ने अपने सकारात्मक अनुभव साझा किए अंत में श्री रितेश श्रीवास्तव द्वारा एक मधुर गीत के साथ पांच दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हुआ।


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