अल्पविराम खुद को जानने पहचानने और सुनने का कार्यक्रम : अखिलेश अर्गल
छतरपुर,राज्य आनंद संस्थान का पांच दिवसीय अल्पविराम कार्यक्रम शुक्रवार को संपन्न हुआ जिला संपर्क व्यक्ति लखनलाल असाटी के साथ आनंदम सहयोगी श्रीमती आशा असाटी,मुकेश करुआ भोपाल, प्रेम प्रकाश सिरोलिया शिवपुरी, श्रीमती शिल्पी राय खंडवा ने 40 प्रतिभागियों के साथ इसे संपन्न कराया संस्थान के सीईओ अखिलेश अर्गल ने कहा कि अल्पविराम कार्यक्रम खुद को जानने पहचानने और सुनने का कार्यक्रम है इसे खुद के अनुभव से ही समझा जा सकता है,लखनलाल असाटी ने आनंद की ओर, श्रीमती आशा असाटी ने लाइफ बैलेंस शीट, मुकेश करूवा ने रिलेशनशिप, प्रेम प्रकाश सिरोलिया ने सीसीडी तथा शिल्पी राय ने फ्रीडम गिलास के माध्यम से अपने खुद के जीवन के अनुभवों को साझा किया,प्रतिभागियों द्वारा शुक्रवार को लगभग 3 घंटे शांत समय लेकर बहुत से प्रश्नों पर विचार किया गया, उसके बाद डॉ श्याम सिंह, अशोक चतुर्वेदी, सौरभ मेहता, भावना कुलश्रेष्ठ, अंबिका साहू, शक्ति मिश्रा, सपना पांडे, कृष्ण गोपाल दुबे, आराध्य धुर्व, लखन लाल प्रजापति, योजना विश्बाल, नीलम सक्सेना, ओमप्रकाश साकरिया, विजय श्रीवास्तव, राजू सिरोलिया, डॉ संजय श्रीवास्तव, सपना झा आदि ने अपने विचार व्यक्त किएमैं और शरीर को अलग-अलग समझना जरूरीलखनलाल असाटी ने कहा कि व्यक्ति मैं और शरीर का सह अस्तित्व है, मैं और शरीर को अलग-अलग समझने की जरूरत है क्योंकि शरीर की आवश्यकताएं सीमित हैं, परंतु मैं की कल्पनाशीलता अनिश्चित है, मैं शरीर को निर्देश देता है और शरीर मैं को संवेदना, शरीर की आवश्यकता नहीं होने के बावजूद मैं आवश्यकता से अधिक साधन जुटाने का निर्देश देता है जिस कारण व्यक्ति का शारीरिक शोषण तो होता ही है उसके साथ साथ उसमें सुख और समृद्धि की जगह दुख और दरिद्रता का भाव बना रहता है
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