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आनंद पूर्ण जीवन में मानसिक स्थिति का हिस्सा 60 फ़ीसदी: सीईओ अखिलेश अर्गल

प्रेषक का नाम :- लखनलाल असाटी जिला संपर्क व्यक्ति छतरपुर
स्‍थल :- Chhatarpur
05 Jul, 2021

  राज्य आनंद संस्थान द्वारा महिलाओं के लिए आनंद शिविर शुरूआनंद पूर्ण जीवन में मानसिक स्थिति का हिस्सा 60 फ़ीसदी: सीईओ अखिलेश अर्गलछतरपुर,राज्य आनंद संस्थान द्वारा गर्भवती और शिशुवती महिलाओं के लिए आयोजित पहले तीन दिवसीय ऑनलाइन अल्पविराम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए संस्थान के सीईओ अखिलेश कुमार अर्गल ने कहा कि व्यक्ति के आनंद पूर्ण जीवन के लिए सर्वाधिक 60 फ़ीसदी हिस्सेदारी मानसिक स्थिति की है, शेष 20 -20 फ़ीसदी हिस्सा स्वास्थ्य और उर्जा लेवल का है,अल्पविराम, योगा, पोर्न प्राणायाम का मानसिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध है,योग और ध्यान से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, प्राणायाम गंभीर बीमारियों के इलाज में मददगार है, प्रशिक्षण समन्वयक लखनलाल असाटी के साथ,आशा असाटी,उषा व्यास, वैदेही ञिपाठी और प्रदीप महतों ने शिविर का संचालन किया, जिले की 50 से अधिक महिलाओं ने इसमें भागीदारी की ओर अपने प्रश्नों का समाधान भी पाया, महिला बाल विकास अधिकारी जितेंद्र गुप्ता,डीपीएम राजेंद्र खरे, जन अभियान परिषद के आशीष ताम्रकार सहित इनीशिएट ऑफ चेंज पंचगनी पुणे से श्रीमती लीना खत्री,इंदौर की ख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ डाँ अभिलाषा गोयल, देवास से समीरा नईम, कुशीनगर की राधा गिरी, लखनऊ की अजामिका स्वर्णकार, दमोह से अर्चना दलाल आदि प्रमुख रूप से सम्मिलित हुईंप्रत्येक कोशिका तक ऑक्सीजन पहुंचाना ही प्राणायाम: डॉ योगिता गजामआर्ट ऑफ लिविंग की ट्रेनर और भोपाल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ योगिता गजाम ने योग,ध्यान और प्राणायाम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि अपने अंदर के आनंद को बाहर निकालना ही योग है उन्होंने कहा कि प्रेम शांति और आनंद पाने के लिए ध्यान का बड़ा महत्व है, प्राणायाम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है क्योंकि यह शरीर की प्रत्येक कोशिका तक ऑक्सीजन पहुंचाता है, जिस प्रकार किसी वाद्ययंत्र को ट्यून करना जरूरी होता है उसी तरीके से बहुत सारे आसनों द्वारा शरीर के अंग प्रत्यंग को ट्यून किया जाता है, ध्यान करने से मस्ती और तंदुरुस्ती दोनों बढ़ती है, ध्यान से मन कंट्रोल होता है और उसका विकास होता है जिससे खुशी बढ़ती हैघर में रोजमर्रा के कार्य और झाड़ू पोछा भी ग्रामीण आसन हैंडॉ योगिता ने कहा कि गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में तितली और झूला आसन किए जा सकते हैं पर प्राणायाम और ध्यान पूरे समय कर सकते हैं,उन्होंने कहा कि झाड़ू पौंछा भी ग्रामीण आसन हैं, पुराने जमाने में माताएं आठ आठ बच्चे सामान्य प्रसव से जन्म देती थीं, क्योंकि घर के रोजमर्रा के कार्य भी आसन से कम नहीं है उन्होंने कहा कि काम करते वक्त उकड़ू हो कर बैठना लाभदायक है, मासिक धर्म के दौरान उन्होंने कोई भी एक्सरसाइज ना करने की सलाह दी,डिलीवरी के बाद उन्होंने पद्मसाधना योग महत्वपूर्ण बतायारविवार को शिविर में इंदौर की डॉक्टर अभिलाषा गोयल द्वारा मेडिकल साइंस से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान किया जाएगा सोमवार को श्रीमती लीना खत्री द्वारा आनंद का रिश्तों से संबंध विषय पर चर्चा की जाएगी    


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