ग्रामीणों को आनंदम् में अच्छा लगता है
पहले नहीं होते “”कपडे़”” अब कमी नहीं आनंदम् ( दुआओं का घर ) मंड़ला में आने वाले ग्रामीण जरूरत मंद शासन की इस पहल से बेहद लाभान्वित हो रहे हैं। यहाँ आने वाले ग्रामीण/मजदूर बताते हैं,कि मेहनत, मजदूरी करके जो आमदनी होती है,वह परिवार के भरण-पोषण में ही खर्च हो जाती है। ऐसे में पैसे की बचत कहाँ होगी। परिवार के सदस्यों के लिए कपडे़ बाजार से खरीदैं तो पैसे भी होना चाहिए ? लिहाजा कपडे़ नहीं होते हैं। लेकिन जब से आनंदम् ( दुआओं का घर ) संचालित हो रहा है उनके परिवार के सभी सदस्यों के पास भरपूर कपडे़ हो गये हैं। अब जरूरत तो छोडिये, आनंदम् से फैंसी ,मनमुताबिक डिजाइन के कपड़े भी उन्हें मिल रहे हैं। ग्रामीणों को अब जब भी कपडो की जरूरत होती है,आनंदम् आते हैं। और आनंदम् आने पर उन्हें अच्छा लगता है। ग्रामीणों की आशा है कि आनंदम् ( दुआओं का घर ) निरंतर चलता रहेगा तो उन्हें लाभ मिलता रहेगा।
वीडियो:-
Video - 1