अल्पविराम के बाद स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक व कर्मचारी बोले ज़रूरतमंदों की अब और अधिक तत्परता के साथ करेंगे मदद व सेवा ग्वालियर / जब 'Life Balance Sheet' Psychological tool स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर व कर्मचारियों पर apply करने के बाद अल्पविराम की practice करायी गई तो लगभग सभी की अन्तरात्मा की आवाज़ निकली हम लोग अब चिकित्सा सेवा से ज़रूरतमंदों की और ज़्यादा मदद करने के लिये प्रेरित हुये हैं तथा अल्पविराम का आयोजन इस कार्यालय में आगे भी होना चाहिये जिससे हम लोग मानवता की सेवा का आनन्द लेने की ओर अग्रसर हो सकें । उक्त बात तब सामने आयी जब शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों में सकारात्मक सोच को और अधिक विकसित करने हेतु, आन्नद विभाग की महत्वकांक्षी पहल 'अल्पविराम' का आयोजन १२ मई २०१७ को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय मोती महल, ग्वालियर में आयोजित किया जा रहा था । कार्यक्रम में CMHO डॉ एस एस जादौन सिविल सर्जन डॉ सक्सेना, डॉ बिन्दु सिंघल एवं स्वास्थ्य विभाग के कई अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी सहित लागभग ४० प्रतिभागी उपस्थित थे । आनन्दम सहयोगी डॉ सत्यप्रकाश शर्मा ने कार्यक्रम की शुरुआत में प्रदेश में आनन्द विभाग के गठन और 'अल्पविराम' की अवधारणा पर प्रकाश डाला तथा ADM व आनन्द विभाग के नोडल अधिकारी श्री शिवराज सिंह के नेत्रत्व में जिले में संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की भी जानकारी दी । अल्पविराम का अभ्यास कराने से पहले Dr Happiness के मनोवैज्ञानिक happiness scale से सभी का life satisfactory level जॉंचा । इसके बाद आन्नदम सहयोगी बनने के बाद अपने जीवन में हुये परिवर्तन की कहानी को सबके साथ साझा किया। इसके उपरान्त 'मेरे जीवन का लेखा जोखा' ( Life Balance Sheet ) मनोवैज्ञानिक उपकरण ( Tool ) के प्रयोग के माध्यम से प्रतिभागियों को अपने जीवन में झाँकने की ओर प्रेरित किया और इसके बाद २० मिनट का अल्पविराम दिया गया । अल्पविराम के बाद CMHO डॉ जादौन ने लगभग २० साल पुरानी कहानी जो किसी ने उनकी मदद की थी से सम्बन्धित थी, लोगों के साथ साझा की इसके बाद डॉ बिन्दू सिंघल, ईं. विनोद सुहाने, श्री महेश गर्ग, श्रीमती निवेदिता भार्गव ने अपनी अन्तारात्मा की आवाज़ को शेयर किया तथा लाईफ़ बैलेंस सीट एएक्सरसाईज के एक प्रश्न 'मैंने अपने जीवन में नि:स्वार्थ भाव से किस-किस की मदद या सहायता की' पर अल्पविराम लेने के बाद स्वास्थ्य विभाग के ज़्यादातर प्रतिभागियों ने कहा कि हम बहुत भाग्यशाली हैं कि मानव सेवा करने वाला विभाग हमें ईश्वर ने काम करने के लिये दिलाया है अब हम इस कार्य को ख़ुद का आनन्द समझ कर और अधिक तत्परता से करेंगे । आनन्दम सहयोगी डॉ सत्यप्रकाश शर्मा भी ने भी आनन्दम सहयोगी बनने के बाद संक्षिप्त में अपनी परिवर्तन की कहानी को साझा किया । स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों ने कार्यक्रम की बहुत अधिक प्रशंसा की तथा हर माह इस अल्पविराम सेशन को कार्यालय में में आयोजित करने का आग्रह किया । कार्यक्रम के अन्त में आनन्दम सहयोगी डॉ सत्यप्रकाश शर्मा ने हाथ की पॉंच उँगली वाली एक्टिविटी समझाई । प्रतिभागियों ने रोज़ सुबह अल्पविराम के अभ्यास को करने का वायदा किया ।
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