आनंदम् मतलब ""असीमित""
आनंदम् मतलब “असीमित”
आनंदम् ( दुआओं का घर ) मंड़ला का नाम सुनते ही यह ही अनुमान लगाते होगें कि व्यक्ति के दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुएं ही लोग छोडकर जाते हैं ,जिन्हें जरूरत मंद व्यक्ति उपयोग कर लेते होगें। परंतु आनंदम् की उपयोगिता असीमित होती जा रही है और लोगों की कल्पना से परे आनंदम् की उपयोगिता साबित हो रही है। उदाहरण स्वरूप यहां चर्चा किया जाना आवश्यक है कि नजर के चशमें क्रमशः किसी भी व्यक्ति के लिए अनुपयोगी होते जाते हैं। ऐसे नजर के चशमें आनंदम् ( दुआओं का घर ) मंड़ला में लोग रख जाते हैं,जिन्हें जरूरत मंद लगाकर पुस्तकें पढ़कर जाँच लेता है।और उसे ले जाते हैं। धार्मिक पुस्तकें जैसे सुंदरकांड, रामायण ….ब्राम्हणों को दान स्वरूप देते हैं। इस तरह से ब्राम्हणों के पास अनेक पुस्तकें अनुपयोगी होती हैं।जिन्हें वे आनंदम् में रख देते हैं, धार्मिक पुस्तकों, ग्रंथों को पढने के शौकीन जरूरत मंदों की आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है।
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