गरीबों की जुबानी ""आनंदम् कहानी""
गरीबों की जुबानी “”आनंदम् कहानी”” आनंदम् ( दुआओं का घर ) मंड़ला की शुरूआत के चार साल बाद ही यह इतना लाभकारी बन गया है कि गरीबों की जरूरत के लिए शुरू किया गया यह स्थान गरीबों के लिए अत्यंत आवश्यक और जरूरी बन गया है। गरीब की जरूरत को बिना पैसे के पूरा करने शासन का सपना इतना लाभदायक सिद्ध हुआ कि ग्रामीण गरीब, आदिवासी, बैगा आदिवासी, एवं अन्य वर्ग आनंदम् पर ही आश्रित हो गया है।..आनंदम् से गरीबों को सहारा मिल गया है।
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