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कहाँ जायेंगे हम

प्रेषक का नाम :- विष्णु कुमार सिंगौर जिला सम्पर्क व्यक्ति अध्यात्म विभाग/मंडल संयोजक आदिवासी विभाग मंड़ला
स्‍थल :- Mandla
18 Jan, 2021

आनंदम् ( दुआओं का घर ) मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं के नेतृत्व में ‘”आनंद विभाग”” का निर्माण वर्ष 2016 में किया था ,जिसके अंतर्गत “”नेकी की दीवार”’ की अवधारणा पर “”आनंदम् स्थलों”” की शुरूआत वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश के सभी जिलों में किया जाना था।..लेकिन मंड़ला जिले की संवेदनशील एवं दूरदर्शी कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिली नायक ने मध्यप्रदेश में सर्वप्रथम 04/12/2016 को ही आनंदम् “’दुआओं का घर”’ के नाम से न केवल स्थापित किया वरन आनंदम् के लिए स्थान चयन करने में दूरदर्शी होने. का परिचय दिया।..मेडम प्रीति मैथिल की गरीबों के प्रति संवेदनशीलता का परिणाम था कि आनंदम् में पर्याप्त स्थान, सामग्रियां रखने रैक,लाइट, साज-सज्जा, रंग -रोगन महज दो दिन के अंदर कराया गया।आनंदम्”” जिसके पास आवश्यकता से अधिक हो यहाँ छोड जाये ं। जिसकी आवश्यकता का हो,यहाँ से ले जायें।। के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया। आनंदम् में सामग्रियां छोड़ने वालों को प्रेरित करने के लिए सर्वप्रथम तत्कालीन मंड़ला कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक ने स्वयं के घर से कपडे़, खिलौने एवं अन्य सामग्रियां स्वयं आनंदम् में छोडकर मंड़ला वासियों को साथ में लिया।यद्यपि आनंदम् की देखकर “”समाज सेवियों”” के द्वारा किया जाता, लेकिन मेडम प्रीति मैथिल को गरीबों की समस्या पता थी इसलिए उन्होंने आनंदम् की आवश्यकता को देखते हुए ,स्वयं के निदेर्शन में काम करने शासकीय व्यक्ति को रखा। मध्यप्रदेश के सभी जिलों के आनंदम् धीरे धीरे बंद हो गए।…यह मंड़ला जिले का आनंदम् आज भी मेडम की प्रेरणा से लगातार संचालित हो रहा है। एवं मध्यप्रदेश के अन्य जिलों के लिए प्रेरित करने का काम कर रहा है। आनंदम् मंड़ला को प्रारंभ करने वालों को शायद ही यह अनुमान रहा होगा कि जिस बिना बजट की सामाजिक योजना की शुरुआत गरीबों के लिए कर रहे हैं। वहाँ से एक दिन जिले के ग्रामीण, मजदूर, बेसहारा,लाचार वर्ग ही नहीं अपितु डिंडौरी, सिवनी, जबलपुर, बालाघाट, जिले सहित छत्तीसगढ़ राज्य के व्यक्ति भी लाभान्वित होगें।…मेडम प्रीति मैथिल ने शायद ही सोचा हो कि,आनंदम् मंड़ला से सभी प्रकार की लाखों वस्तुओं का वितरण हो सकता है।…मेडम प्रीति मैथिल द्वारा शुरुआत किये गए आनंदम् से ग्रामीण व्यक्ति इतने लाभान्वित होगें,गरीबों को इतना सहारा मिलेगा कि गरीबों के लिए उनका आनंदम् जरूरत का स्थान बन जायेगा।…और यही आनंदम् आगे चलकर, गरीब का सहारा बनेगा, जिसके बंद होने की कल्पना भर से ही ग्रामीण/गरीब व्यक्ति सहम जायेगा।


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