लोग मुझ पर विश्वास क्यों करें, विषय पर अधिकारियों ने लिया अल्पविराम छतरपुर। कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में सोमवार को विभिन्न विभागों के जिला कार्यालय प्रमुख मौन रहकर इस प्रश्न का जवाब तलाश रहे थे कि लोग उन पर विश्वास क्यों करें। आनंद विभाग की ओर से प्रति सप्ताह लिए जाने वाले अल्प विराम में अधिकारियों के आत्ममंथन के लिए यह भी प्रश्न किया गया था कि वे विश्वास बहाली के लिए कौन से कदम उठाना पसंद करेंगे। कलेक्टर रमेश भंडारी, सीईओ जिला पंचायत हर्ष दीक्षित एवं अपर कलेक्टर दिनेश कुमार मौर्य की उपस्थिति में आनंदम सहयोगी लखन लाल असाटी द्वारा कराए जा रहे अल्प विराम में जिले के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। अपर कलेक्टर श्री मौर्य ने कहा कि अपने कार्य के प्रति चिंता नहीं होना अविश्वास का प्रमुख कारण है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सीएम हेल्पलाईन में दर्ज शिकायतों के निराकरण के लिए अधिकारी कितने गंभीर हैं और कितना समय देते हैं। श्री मौर्य ने कहा कि यदि प्रत्येक अधिकारी सुबह-सुबह कुछ मिनिट का अल्प विराम लेने के बाद सीएम हेल्पलाईन की शिकायतों के निराकरण हेतु नियमित रूप से एक घंटे का समय दे तो समस्याओं का शत प्रतिशत निराकरण किया जा सकता है। और इससे अधिकारी के प्रति लोगों का स्वभाविक रूप से विश्वास बढ़ेगा। सीईओ जिला पंचायत हर्ष दीक्षित ने कहा कि अधिकारी यदि अनुशासित ढंग से अपने दायित्व का निर्वहन करने लगे तो कोई समस्या ही नहीं। उन्होंने कहा कि समस्याओं का निराकरण दूसरों के जीवन में आनंद का सृजन करने जैसा है। जब आप गंभीरता से काम करने बैठते हैं तो ज्यादा समय नहीं लगता। संयुक्त कलेक्टर भारत भूषण गंगेले ने कहा कि वह समय के और अधिक पाबंद होना चाहेंगे। सहायक संचालक शिक्षा जेएन चतुर्वेदी ने कहा कि वह अपेक्षाओं पर खरा उतरने का सदैव प्रयास करते हैं। अधीक्षक भू अभिलेख आदित्य सोनकिया ने कहा कि व्यक्ति का कार्य ही इस प्रश्न का उत्तर हो सकता है। हृदयकांत चतुवेर्दी ने कहा कि काम टालने की प्रवृत्ति से अविश्वास बढ़ता है। डीपीसी एचएस त्रिपाठी ने कहा कि कर्तव्य निष्ठा से ही विश्वास की बहाली होगी। बड़ामलहरा एसडीएम श्रीमति दिव्या अवस्थी व श्री रूसिया ने भी विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में सभी ने देखो देखो ये बहारें, यह चमन है सबका, चांद सूरज यह सितारे यह गगन हैं हम सबका, देखो-देखो गीत गाया। अल्पविराम में सभी अधिकारियों ने अपनी अंतर आत्मा की आवाज सुनने के बाद अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों को सुख देकर ही खुद के जीवन में आनंद प्राप्त किया जा सकता है। आनंदम सहयोगी लखन लाल असाटी के अनुसार अल्पविराम मौन रहकर आत्मा की आवाज सुनने की प्रक्रिया है।
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