सफलता के शिखर पर बैठ कर भी हम खुश क्यों नहीं: अखिलेश अर्गल
राज्य आनंद संस्थान के ऑनलाइन अल्पविराम कार्यक्रम के पहले दिन संस्थान के सीईओ अखिलेश अर्गल ने कहा सफलता के शिखर पर बैठकर भी व्यक्ति खुश क्यों नहीं हैं, आखिर हमारी खुशी किस बात पर निर्भर करती है? उन्होंने कहा कि राज्य आनंद संस्थान का अल्पविराम कार्यक्रम खुश रहने का जो रास्ता दिखाता है उस पर चलना व्यक्ति का काम है। पांच दिवसीय आनंद शिविर के पहले दिन मास्टर ट्रेनर लखनलाल असाटी ने चिंताओं को प्रभाव के दायरे में लाने हेतु अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया। श्री असाटी ने कहा कि यह प्राकृतिक नियम है कि जहां हमारा ध्यान जाता है वहाँ हमारी ऊर्जा जाती है और जहां हमारी ऊर्जा जाती है वह चीज बढ़ती है, जिससे जीवन में जो चीजें हमारे प्रभाव के दायरे में थी वह भी छिटक कर हमसे दूर हो जाती हैं और चिंता के दायरे में चली जाती हैं। जीवन में हम जिन समस्याओं पर चिंता करते हैं उनमें से अधिकांश का समाधान हमारे खुद के हाथ में होता है और जिनका समाधान हमारे हाथ में नहीं है उन पर व्यर्थ की चिंता करने के बजाय उन्हें समय पर छोड़ देना चाहिए। प्राय: हम सभी समस्याओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार मानते हैं, जबकि अल्पविराम के दौरान शांत समय लेकर यह अनुभव हुआ है कि समस्याओं के लिए दूसरों से अधिक हम खुद जिम्मेदार हैं तथा उनकी समाधान करने की बेहतर स्थिति में हैं। सत्र के प्रारंभ में रायसेन से वर्णा श्रीवास्तव ने सभी प्रतिभागियों का परिचय प्राप्त किया। जबलपुर से उपेंद्र यादव ने राज्य आनंद संस्थान की गतिविधियों की जानकारी दी। भोपाल से मुकेश करूवा ने आनंद विभाग का वीडियो दिखाया। खंडवा से नारायण फरकले ने अपनी शिक्षा की समस्या को चिंता से प्रभाव के दायरे में लाने की कहानी सुनाई। प्रतिभागियों में दीपा रस्तोगी - अशोकनगर, श्रीमती कमलेश शर्मा - जेपी आनंद भोपाल, ज्योत्सना सूद - दिल्ली, वैदेही त्रिपाठी - टीकमगढ़ आदि ने उनके जीवन में आनंद और परेशानी के अपने अनुभव साझा किए। सत्र में सतीश दुबे अशोकनगर और जितेश श्रीवास्तव भोपाल भी सम्मिलित हुए |
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