लोग हमें देखकर नाखुश होते हैं तो कमी हमारी अपनी
छतरपुर , यदि हमें देखकर लोग नाखुश होते हैं तो यह हमारे अल्पविराम का समय है, जरूरत खुद में बदलाव की है न कि सामने वाले को सुधारने की. राष्ट्रीय पोषण मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत डेरा पहाड़ी में चार दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर राज्य आनंद संस्थान की ओर से लखनलाल असाटी ने अल्पविराम में यह बात कही इस मौके पर संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास श्रीमती शशि श्याम उईके, जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिल जैन, परियोजना अधिकारी अनिल नामदेव, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डीपीएम राजेंद्र खरे सहित 67 सुपरवाइजर और 16 ब्लॉक कोऑर्डिनेटर व सहायक उपस्थित थे ।
शांत समय का प्रश्न था किसको देख कर मेरे चेहरे पर खुशी आ जाती है लखनलाल असाटी ने पूछा कि क्या आपकी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका आपको देखकर खुश होती हैं या उनका तनाव बढ़ जाता है अधिकांश ने कहा वह नाखुश होती हैं सभी ने स्वीकार किया कि उन्हें देख कर भी उनके अधीनस्थ अमले को खुश हो जाना चाहिए उन्हें अपने स्वभाव को बदलने की प्रेरणा मिली है यदि कार्यकर्ता खुश होगी तो और बेहतर काम करके देंगीसुपरवाइजर को अनुभव कराया गया कि वह तो सिर्फ रिपोर्टिंग करती हैं सारा काम तो कार्यकर्ता और सहायिका ही करती है तो नाराज होने का अधिकार काम करने वाले को होना चाहिए कि रिपोर्टिंग करने वाले को डीपीएम राजेंद्र खरे ने कहा कि निश्चित रूप से जब हम खुश होते हैं तो हमारा अमला खुश होता है और उसकी परफॉर्मेंस भी अच्छी होती है
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