छतरपुर जिला जेल में अल्पविराम जेल से छूटकर बने सफल कारोबारी, बदले की भावना को छोड़ा
छतरपुर जिला जेल छतरपुर में कैदियों के बीच रविवार को आयोजित अल्पविराम कार्यक्रम में कैदियों ने स्वीकार किया कि यदि वह मामूली सी चूक नहीं करते तो आज वह जेल में नहीं होते क्रोध, लालच और ईर्ष्या उनके पतन का कारण है जेलर राम शिरोमणि पांडे की उपस्थिति में मास्टर ट्रेनर अध्यात्म लखनलाल असाटी ने अल्पविराम संपन्न कराया . अल्पविराम सत्र में आनंदम सहयोगी डॉ आर बी पटेल, श्रीमती आशा असाटी, केएन सोमन मंगल ग्राम सहयोगी कृष्णपाल सिंह रवि परिहार, नीरज कुमार श्रीवास, दीपक श्रीवास, मनोज श्रीवास भी सम्मिलित हुए आनंदक मोहम्मद आबिद ने अपनी स्टोरी साझा करते हुए कहा कि उसने भी 17 माह इसी जेल में काटे हैं पर जेल में रहकर उसने अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनने का अभ्यास किया और जहां-जहां अपनी गलतियां पाई उनको सुधार किया और जेल से रिहा होने के बाद एक नई ऊर्जा और नए विश्वास के साथ अपना व्यवसाय प्रारंभ किया और आज वह सफल बिजनेसमैन है आबिद ने कहा कि उसने कभी भी अपने मन में बदले की भावना को पनपने नहीं दिया और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा, मनोहर सिंह ललौनी ने कहा कि उन्होंने भी इसी जेल में दिन बिताए हैं और पहले मन में बहुत गुस्सा और बदले की भावना का विचार रहता था पर धीरे-धीरे शांत समय लेने के बाद उन्होंने अपने गुस्से पर काबू पाया है सारे नशों का त्याग कर दिया है और उन्हें किसी से भी क्षमा याचना करने में कोई संकोच महसूस नहीं होता हैकेएन सोमन ने कहा कि 1977 में जब वह केरल से आकर मध्य प्रदेश के सागर जिले में बसे और एक प्राइवेट अस्पताल में ₹200 माह की नौकरी करना शुरू की तो वेतन मिलते ही उसमें से वह ₹10 प्रत्येक माह केरल के किसी न किसी गरीब आदमी को मनीआर्डर द्वारा भेजते थे उनकी मदद का परिणाम यह हुआ कि कुछ ही महीने में उनकी तनख्वाह डेढ़ गुनी हो गई जबकि उनसे सीनियर कर्मचारियों की वेतन नहीं बढ़ाई गई थी तब उन्होंने ₹10 की जगह ₹20 के मनीआर्डर भेजने शुरू कर दिए उन्होंने दूसरों की मदद का सिलसिला जारी रखा और परिणाम यह था कि उन्हें कुछ ही दिनों बाद सरकारी नौकरी मिल गई और उनकी पत्नी को भी सरकारी नौकरी मिल गई पर वह मदद करना आज भी नहीं भूले हैं और उनका मानना है कि जिस प्रकार उन्होंने लोगों की मदद की है उससे कई गुना ज्यादा ईश्वर ने उनकी मदद की है जेलर श्री पांडे ने कहा कि सभी कैदियों को शांत समय लेकर विचार करना चाहिए कि यदि उनसे कोई भूल हुई है तो उसका वह सुधार कैसे करेंगे लोगों से क्षमा मांग ले और सदैव अच्छा सोचे
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