छतरपुर,अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस का आयोजनशांत समय के बाद अधिकारी बोले हम खुद में करेंगे सुधार
सहिष्णुता अर्थात टोलरेंस घर से ही शुरू होता है। घर का प्रत्येक सदस्य अपने आपको सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति समझता है ऐसे में पूरे परिवार को साथ लेकर चलना सच्ची सहिष्णुता है जब घर में सहिष्णुता होती है तो सोसायटी में भी सहिष्णुता आ जाती है। कलेक्टर श्री मोहित बुंदस ने शनिवार को जिला पंचायत सभाकक्ष में अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के अवसर पर राज्य आनंद संस्थान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डीएफओ श्री अनुपम सहाय, जिला पंचायत सीईओ श्री हिमांशु चन्द्र, अपर कलेक्टर श्री प्रेम सिंह चौहान सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मास्टर ट्रेनर अध्यात्म लखनलाल असाटी ने किया।पूरे सत्र में कुछ ऑडियो और वीडियो तथा स्किट के बाद शांत समय लेकर लोगों ने अपने दिल की बात कही। कलेक्ट रश्री मोहित बुंदस ने कहा कि शांत समय लेने से अंदर की हलचल दूर होती है और दोहरे व्यक्तित्व से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति का स्टे्रस भी दूर होता है। उन्होंने कहा कि वह प्राय: शांत समय लेते हैं और सभी अधिकारियों, कर्मचारियों से भी आग्रह करते हैं कि उन्हें हफ्ते में कम से कम एक दिन शांत समय जरूर लेना चाहिए। वन मंडलाधिकारी अनुपम सहाय ने कहा कि जीवन में परिवार का बहुत बड़ा रोल होता है लेकिन कार्यालयीन दबाव में हम इसकी उपेक्षा करते हैं पर यदि परिवार को साथ लेकर चलेंगे तो बेहतर कर पाएंगे। जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चन्द्र ने कहा कि मैं नियमित अल्पविराम लेता हूं और जिससे मैंने अपने ईगो पर नियंत्रण पाया है। जब हम जनता का कोई काम करते हैं तो हमें लगता है हम कोई परोपकार कर रहे हैं परंतु सच्चाई यह है कि वह काम तो जनता का हक है हम तो काम करने के लिए सैलरी मिलती है। जितना हम बार-बार शांत समय लेंगे उतना ही हम अपने कामों को बेहतर कर पाएंगे। अपर कलेक्टर प्रेम सिंह चौहान ने कहा कि आज के शांत समय से उन्हें यह प्रेरणा मिली है कि वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों और हितग्राहियों को और अधिक बेहतर ढंग से सुनेंगे। डिप्टी कलेक्टर प्रियांशी भंवर ने कहा कि मैं लोगों को बहुत अच्छे से सुनती हूं और जब कोई एक व्यक्ति भी मेरे कार्यों की प्रशंसा करता है तो मेरा ऊर्जा स्तर बढ़ जाता है। जिला पेंशन अधिकारी विजय कुमार टिर्की ने कहा कि शांत समय के दौरान उन्हें अपने बहुत सारे अवगुण दिखाई दिए जिसे वह धीरे-धीरे दूर करेंगे। डीपीसी आरपी लखेर ने कहा कि शांत समय में उनके सामने दो बातें प्रमुखता से आईं, पहला तो वह जो काम करते हैं उसमें चाहते हैं कि लोग उनके प्रति कृतज्ञ रहें जबकि काम करना तो उनकी ड्यूटी है। दूसरा उन्हें बहुत अधिक परिणाम की अपेक्षा रहती है। जिला जनसंपर्क अधिकारी पूजा थापक ने कहा कि नौकरी के लिए परीक्षाओं में असफलता के बाद उन्हें काफी डिप्रेशन होता था परंतु मेरी मां ने मुझे समझाया कि तुम्हारे पास तो नौकरी के बहुत सारे विकल्प हैं पर एक मजदूर को देखो जिसके पास कोई विकल्प नहीं है। मैंने शांत समय से अपने स्टे्रस को दूर किया। रेंजर जेपी मिश्रा ने कहा कि मन शांत न रहने से उन्हें लगता है न तो दफ्तर में बॉस खुश है और न घर में परिवार। रेंजर एसके सिंह बुन्देला ने कहा कि वह रोज बेहतर की चाहत रखते हैं। रेंजर एके तिवारी ने कहा कि चाहे घर हो चाहे परिवार मैं हर जगह अपने आपको एकदम परफेक्ट मानता हूं। आज के अल्पविराम से अब मैं इसमें सुधार करूंगा। सहायक वन संरक्षक श्वेता सिंह ने कहा कि शांत समय लेने से उम्मीद बढ़ती है। एसडीओ वाईएस परमार ने कहा कि वह अपने स्वभाव में लगातार परिवर्तन कर रहे हैं। एके दीक्षित ने कहा कि मनमर्जी का काम न होने से चिढ़चिढ़ाहट होती थी जिसे अल्पविराम से दूर करूंगा। श्रम निरीक्षक सुरेन्द्र मिश्रा ने कहा कि उनमें आत्म संतुष्टि का भाव नहीं है। परियोजना अधिकारी मंजू जैन ने कहा कि वह अच्छे से ड्यूटी करती हैं और लगातार सुधार भी करती हैं। पीआईयू एसडीओ एसके पाण्डेय ने कहा कि मुझे अनुभव हो रहा है कि शासन हमें जितना देती है हम उतना नहीं करते हैं।स्किट, गाने, वीडियो और परिवर्तन की कहानी सब कुछ हुआकार्यक्रम के दौरान योगाचार्य रामकृपाल यादव, नीलम पाण्डेय और प्रदीप सेन द्वारा झगड़े कैसे होते हैं इस पर लघु नाटिका प्रस्तुत की गई। स्वयं में सुधार पर ब्रजकिशोर सिंह ललौनी और नीरज श्रीवास सौंरा ने अपने पिता और बहिन से संबंधों के सुधार को साझा किया। आनंदम् सहयोगी श्रीमती आशा असाटी ने अपने रिश्तों के सुधार को साझा किया। मास्टर ट्रेनर प्रदीप सेन ने फ्रीडम ग्लास के माध्यम से अपने दिल के बोझ को दूर करने की खुद के परिवर्तन की कहानी साझा की। आनंदक केएन सोमन, मंगलग्राम सहयोगी शीतल श्रीवास, दीपक श्रीवास, मनोज श्रीवास, प्रमोद सारस्वत एवं मिजाजीलाल कुशवाहा बगौता की सहभागिता रही।
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