छतरपुर,बेटे की नशे की लत से परेशान है मां, अल्पविराम द्वारा चाहती है सुधार
छतरपुर। मंगलग्राम सौंरा में बुधवार की सुबह सहयोगी नीरज श्रीवास के चबूतरे पर मास्टर ट्रेनर लखन लाल असाटी ने अल्पविराम संपन्न कराया जिसमें छतरपुर से भी आनंदक सम्मिलित हुए। अल्पविराम का उद्देश्य खुद के संपर्क में आकर खुद का सुधार करना है जिससे जीवन को नई दिशा प्राप्त होगी। शांत समय में सभी को विचार करना था कि उनके जीवन का उद्देश्य क्या है तथा समाज के लिए उनका योगदान क्या है। नवयुवक ओमप्रकाश श्रीवास ने कहा कि वह गांव में अशिक्षा और नशाखोरी से दुखी है। गरीबों पर अत्याचार और रिश्वतखोरी उसे परेशान करती है। वह समाज को नया रास्ता दिखाना चाहता है और इसके लिए वह अपने जीवन को बलिदान करने तक को तैयार है। मंगलग्राम सहयोगी देवीदीन पटेल ने कहा कि वह समाज सुधार के लिए प्रयासरत हैं पर कोई साथ नहीं देता है। मनोज रजक ने कहा कि वह समाज को जागरुक करना चाहते हैं। श्रीमती गनेशीबाई रजक ने कहा कि वह अपने पुत्रों के द्वारा मंगलग्राम में काम करने से अत्यंत गर्व महसूस करती हैं। श्रीमती कमला कुशवाहा ने कहा कि उनके परिवार में शांति रहे यही उनके जीवन का उद्देश्य है। श्रीमती जमुना श्रीवास अपने पुत्र की नशे की आदत को लेकर बेहद दुखी थीं। नीरज श्रीवास ने कहा कि भेद भाव के कारण उन्हें दुख होता है। मकुंदी श्रीवास और भागीरथ कुशवाहा ने भी अपने विचार साझा किए।मास्टर ट्रेनर प्रदीप सेन ने कहा कि वे कुष्ठ रोगियों के लिए काम करना चाहते हैं। आनंदम सहयोगी श्रीमती आशा असाटी ने कहा कि अल्पविराम लेने से खुद की गलतियां समझ में आने लगी हैं जिससे खुद के सुधार का मार्ग भी प्रशस्त हो रहा है। दीपक श्रीवास ने कहा कि वह अल्पविराम के माध्यम से अपनी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करना चाहते हैं। शीतल श्रीवास ने कहा कि नशे से पूरा गांव परेशान है और वे एक टीम वर्क के साथ इस पर काम करना चाहते हैं। मंगलग्राम सहयोगी चंद्रभान रावत ने कहा कि मेरे जीवन का उद्देश्य यही है कि किसीका अहित न हो। अनिल सोनी ने कहा कि वह अब तक पैसों को महत्व देते थे पर अल्पविराम के बाद उन्हें समझ में आया कि पैसों से अधिक संबंध होते हैं और छोटों को सम्मान देना चाहिए। मो. सगीर ने कहा कि वह किसी भी व्यक्ति का 15 दिन में नशा छुड़ा सकते हैं बशर्ते वह नशा छोडने के उद्देश्य से उनके पास आए। सुरेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि वह ईमानदारी के रास्ते पर चलना चाहते हैं। शैलेन्द्र सिंह और जुम्मन खान ने कहा कि वह खुश रहना चाहते हैं।
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