पिता 150 से 200 रुपये रोज कमाते है और प्रतिदिन जीवन से संघर्ष करते हैं- मैं जन्मों जन्म माता पिता की ऋणी रहूंगी ,उनकी सेेवा करूँगी
जिला आनंदम सहयोगी एवम कार्यक्रम समन्वयक विजय मेवाड़ा ने जीजाबाई गल्स डिग्री कॉलेज में अल्पविराम का अभ्यास कराया छात्राओ को प्रश्न दिया गया जन्म से लेकर आज कॉलेज तक पहुँचाने में आपके माता पिता द्वारा कितना परिश्रम और अपनी इच्छाओं का खून कर आपकी छोटी छोटी जरूरतों को पूरा किया होगा स्मरण कर लिखें।5 मिनिट में अधिकतर बच्चों की आंखें नम हो गई। एक मोना ने कहा पापा बूट पॉलिश कर मेरी पढ़ाई और परिवार का खर्च बड़ी मुश्किल से निकलते हैं।मैं जन्मों जन्म माता पिता की ऋणी रहूंगी।में टीचर बनकर उनकी सेवा करूंगी। अगला प्रश्न था की हम आंतरिक खुशी के लिए क्या करें ?
आनंदम सहयोगी द्वारा आनंद संस्थान द्वारा संचालित कार्यक्रमो की जानकारी देते हुए बताया कि हम दूसरों से अपेक्षाएं ,,ईर्ष्या,न करते हुए अपनी आवश्यकताओं को कम करें ,प्रकृति को निहारें पंछियों की चहचहाहट सुने अपने कार्यों पर आत्म चिंतन करें तो हमारे अंदर सकारात्मकता का प्रसार होगा।हम स्वयं को नकारात्मकता से दूर रखें आज तक जितने भी वैज्ञानिकों ने अविष्कार किये हैं कोई भी एक बार मे सफल नही हुए हैं यदि जीवन मे असफलता मिलती है तो पुनः प्रयास करें। जिला समन्वयक अरविंद शर्मा द्वारा सभी बच्चों को अपने जीवन की घटित घटना का उदाहरण देते हुए कहा उद्देश्यहीन, उत्साहहीन, ईश्वरविहीन जीवन नकरात्मकता की ओर ले जाता है अतः ईश्वर में आस्था रखते हुए उद्देश्य ,उत्साह,पर ध्यान केंद्रित करें,और अवसाद मुक्त रह सकते हैं।
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