छतरपुर कलेक्टर की संवेदनशीलता वनी प्रेरणा- माता को पालकी पर और घायलों को दी अपनी गाड़ी
है दुर्घटना में घायलों को मदद करने के बजाए लोग बना रहे थे वीडियो, कलेक्टर ले गए अस्पताल कराया इलाज छतरपुर। सागर रोड पर ढड़ारी गांव के पास नेशनल हाइवे पर दो युवक एक्सीडेंट का शिकार होकर खून से लथपथ सड़क पर तड़प रहे थे। घायलों के आसपास बड़ी संख्या में लोग खड़े होकर घायलों का वीडियो बना रहे थे, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था। इसी दौरान कलेक्टर श्री मोहित बुंदस जटाशंकर से अपनी माता के साथ छतरपुर वापिस लौट रहे थे, कलेक्टर ने भीड़ देखकर अपना वाहन रोका और वहां की स्थिति देखी तो घायलों को अपने वाहन से अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन कलेक्टर के कहने के वाबजूद लोग मदद के लिए आगे नहीं आए। फिर कलेक्टर ने एंबुलेंस बुलाकर दोनों घायलों तुरंत जिला अस्पताल भेजा और खुद भी अस्पताल पहुंचे गए। घायलों के साथ कलेक्टर के अस्पताल पहुंचते ही सर्जन डॉ. सुषमा खरे,सीएमएचओ डॉ. विजय पथौरिया तथा सिविल सर्जन डॉ. आरएस त्रिपाठी भी पहुंच गए। समय से अस्पताल पहुंचे दोनों घायल नंदू रैकवार पिता कंछेदी रैकरवार और भगवानदास रैकवार पिता पूरन रैकवार का इलाज किया गया। जिससे उनकी जान बच गई। दोनों को सिर में चोटें आई थीं। सिविज सर्जन आरएस त्रिपाठी ने बताया कि दोनों युवकों की हालत अब ठीक है। युवकों को इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे कलेक्टर श्री बुंदस ने वहां मौजूद डॉक्टरों से अपनी आंखों देखी पीडा़ व्यक्त करते हुए बताया कि जब घायल युवकों को उन्होंने बेहोशी अवस्था में देखा और वहां मौजूद लोगों से कहा कि आप लोग फोटो लेने में तल्लीन हैं, इन्हें अस्पताल क्यों नहीं भेजा, मैं आपका डीएम आपसे कुछ कह रहा हूं, लेकिन तमाशबीनों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। आंखों देखी लोगों की असंवेदनशीलता से वो इतने ज्यादा आहत हुए कि, अपनी उपस्थिति में उन्होंने दोनों युवकों का उपचार कराया। डॉक्टरों से बार-बार वह एक ही सवाल करते रहे कि इनकी जान तो बच जाएगी! राज्य आनंद संस्थान में पंजीकृत आनंद क्लबों के विभिन्न पदाधिकारियों ने छतरपुर कलेक्टर की संवेदनशीलता की सराहना की है और उन्हें जिले में लोगों में सकारात्मक परिवर्तन का प्रेरणास्रोत बताया
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