शिक्षक बोले अल्पविराम के प्रश्न बहुत सटीक थे चिंतन ने हमारी आत्मा को झकझोर दिया।
इंदौर जिला शिक्षा एवम प्रक्षिक्षण संस्थान में आयोजित शाला सिद्धि योजना शासकीय स्कूलों के उन्नयन हेतु एक वर्क प्लान है जो हमारे कलेक्टर से श्री लोकेश कुमार जाटव जी द्वारा ही 2016 में शुरू की गई थी।जब वे आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र थे।जिले में इसके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु उक्त कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला में श्री कलेक्टर सर,मुख्य कार्यपालन अधिकारी/नोडल अधिकारी अध्यात्म नेहा मीना मेडम,के साथ मुझे भी जाने का अवसर मिला,कलेक्टर सर के समक्ष प्रेजेंटेशन के माध्यम शिक्षकों को अध्यात्म विभाग की गतिविधियों की जानकारी देते हुए विशेषतःआनंद सभा की जानकारी दी। शिक्षा की गुणवत्ता की बात आई तो सामने बैठे शिक्षकों की फुसफुसाहट अपने साथियों के कार्यों पर दोषारोपण करते नज़र आये उन्हें अल्पविराम का अभ्यास कराने हेतु 3 प्रश्न दिये 1.शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में हम सब शिक्षक साथी क्या सहयोग कर सकते हैं,? दूसरा प्रश्न था शासकीय स्कूलों में एक निर्धन एवम गरीब व्यक्ति अपने जीवन के आधार अपने बच्चे को हमारे भरोसे और विश्वास पर उसके उज्ज्वल भविष्य के सपने संजोकर हमारे हवाले करता है क्या हम उसकी उम्मीदों और विश्वास पर कहाँ तक खरे उतरे हैं? तीसरा प्रश्न यदि आपके स्वयम के बच्चे की फीस भरने के बाद भी उसके शैक्षणिक स्तर में सुधार न आये तो आप किसे जिम्मेदार ठहराएंगे? इन प्रश्नों के उत्तर आप आत्म चिंतन कर कल लिखकर लाएंगे। अगले दिन प्रशिक्षण में मैंने प्रश्नों के उत्तर नहीं मांगे उससे पहने ही 3-4 शिक्षकों का समूह जिनके नाम लिखना उचित नही होगा उन्होंने कहा सर आपके प्रश्न इतने सटीक थे जिन्होंने सीधे आत्मा पर वार किया हम सबके सामने इन प्रश्नों के उत्तर लिखित में नही दे पाएंगे। हमने उन बच्चों से मन ही मन क्षमा याचना की जिन्हें हम पूर्ण सामर्थ्य से शिक्षित नही कर पाए।किंतु कल से हमारा कार्य और व्यवहार अलग होगा। अन्य सभी से प्रश्न 3 पर चर्चा करते हुए कहा यदि हमारे बच्चे स्कूल में आपेक्षित उन्नति नही होती है तो हम या तो शिक्षक को दोषी मानते हुए कहते हैं कि इतनी फीस लेने के बावजूद भी आप लोग क्या कर रहे हैं, ठीक यही प्रश्न हमारे लिए भी है-उन गरीब बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति के एवज में शासन हमें हज़ारों रु सेलेरी देता है हमारा कर्तव्य क्या होना चाहिए? एवम शाला सिद्दी के आयाम एक और सात की पूर्ति सामाजिक सहयोग के बिना संभव मुश्किल है अतः अध्यात्म विभाग द्वारा प्रतिवर्ष 14 से 28 जनवरी के बीच आयोजित आनंद उत्सव में ग्रामीणों और पालकों की सहभागिता उन्हें स्कूल से जोड़ा जा सकता है।या कोई बच्चा टेंशन डिप्रेशन में हो, तो उसकी काउंसलिंग हेतु आप अध्यात्म विभाग की सहायता ले सकते हैं। साथ ही हमारे आनंदक साथियों द्वारा समय समय पर सहयोग स्वरूप निशुल्क शिक्षण सामग्री एवम जूते चप्पल की व्यवस्था की जा रही है।
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