छतरपुर। घर लौटकर बहुओं से मांगेंगे क्षमा -अल्पविराम से अंर्तआत्मा की आवाज सुनने के बाद किए विचार साझा
तीन दिवसीय आवासीय अल्पविराम सत्र के समापन अवसर पर प्रशिक्षण का फीडबैक देते हुए एक एएनएम ने कहा कि उसकी बहुएं सदैव ताना मारती हैं कि मां जी आप अपनी वेतन, पेंशन और समस्त संपत्ति तकिया में साथ रखकर ऊपर ले जाना। अल्पविराम के बाद उसे समझ में आया है कि उसका अपनी बहुओं के प्रति स्वभाव उदारता का नहीं है। अभी तक वह बहुओं को ही दोषी मानती थी पर अब वह घर जाकर बहुओं से माफी मांगकर घर में स्नेह और प्रेम का नया वातावरण निर्मित करेगी। इसी तरह के अनुभव अन्य महिला नर्सों ने व्यक्त किए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डीपीएम राजेन्द्र खरे ने कहा कि अल्पविराम के परिणामों से वह उत्साहित हैं और उनका प्रयास होगा कि अब स्वास्थ्य विभाग के अन्य सभी प्रशिक्षणों में भी अल्पविराम का सत्र शामिल हो। मास्टर ट्रेनर लखन लाल असाटी, मुकेश करुआ एवं प्रदीप सेन ने अपने निजी जीवन के अनुभवों और विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से उन्हें शांति समय दिलाकर खुद से जुडऩे का अभ्यास कराया। सागर कमिश्नर का प्रयास है कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों में आम जनमानस के प्रति और अधिक सकारात्मक और प्रेमपूर्ण व्यवहार की भावना बढ़े जिससे शासकीय योजनाओं को और अधिक बेहतर तरीके से हितग्राहियों तक पहुंचाया जा सके। अल्पविराम इस अवधारणा को मजबूत करने में सहायक हुआ है। जिस कारण छतरपुर जिले के कर्मचारियों को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नौगांव के ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र पर सुबह 7 बजे आत्मपोषण के साथ सत्र की शुरुआत होती है। जो देर रात आनंद निशा के साथ समाप्त होती है। इस दौरान प्रतिभागियों को अधिक से अधिक प्रकृति और खुद से जुडऩे का मौका मिलता है। प्रतिभागी प्राय: मोबाइल से दूर रहते हैं और एक दूसरे से भी बातचीत जरूरी होने पर करते हैं। डीपीएम यह देखकर खुश हुए और उन्होंने कहा कि विभागीय प्रशिक्षणों में अनेक बार प्रतिभागियों को चुप कराना पड़ता है। पर यहां लोग खुद शांत समय ले रहे हैं। एएनएम ने अपने-अपने क्षेत्र की प्रमुख एक समस्या के निदान हेतु उनके खुद के द्वारा किए जाने वाले प्रयासों का भी एक्शन प्लान बनाया। नर्सों ने अपने अनुभव बताए कि अब वह किसी भी निर्णय के पहले शांत समय लेकर अपनी अंर्तआत्मा की आवाज जरूर सुनेंगी।
फोटो :-
डाक्यूमेंट :-
Document - 1