युवा आनंदक फैलोशिप के लिए आवेदन आमंत्रित - पंजीयन 11 से 30 सितम्बर तक        आनंद उत्‍सव 2023 फोटो एवं वीडियो प्रतियोगिता परिणाम       • भारतीय लोकतंत्र का जश्न मनाने के लिए ईसीआई द्वारा "मैं भारत हूं" गीत • आनंद उत्सव की सांख्यिकी • ऑनलाइन कौर्स : ए लाइफ ऑफ़ हैप्पीनेस एंड फुलफिल्मेंट

 छतरपुर,शांत समय लेने के बाद शिक्षकों ने जो विचार साझा किये वह अत्यंत उत्साहित कर देने वाले और सभी के लिए प्रेरणास्पद थे।

प्रेषक का नाम :- आनंदम सहयोगी लखनलाल असाटी
स्‍थल :- Chhatarpur
30 Oct, 2018

छतरपुर, जिला पंचायत सभा कक्ष में छतरपुर, राजनगर, नौगांव एवं बिजावर विकासखण्ड के 50 शिक्षकों को अल्पविराम कार्यक्रम का फॉलोअप प्रशिक्षण दिया गया। ये सभी शिक्षक सितम्बर माह में डाइट नौगांव में तीन दिवसीय आवासीय अल्पविराम प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। जिले के ऐसे 100 स्कूलों के शिक्षकों जिनके स्कूलों का राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में प्रदर्शन संतोष जनक नहीं था। अल्पविराम के माध्यम से शिक्षकों में बदलाव लाकर शैक्षणिक स्तर को सुधारने का यह अभिनव प्रयास छतरपुर जिले में किया जा रहा है। मास्टर ट्रेनर लखनलाल असाटी ने फॉलोअप ट्रेनिंग में एक प्रेरणादायी गीत के बाद सभी को 25 मिनिट का शांत समय दिलाया और उनसे नौगांव में लिखी गई पाती पर अब तक हुए अमल पर विचार करने को कहा गया। इन शिक्षकों ने डाइट नौगांव में खुद के नाम एक पाती लिखी थी जिसमें उन्होंने लिखा था कि वह खुद में, अपने परिवार में तथा अपने स्कूल में क्या सुधार करना चाहते हैं। शांत समय लेने के बाद शिक्षकों ने जो विचार साझा किये वह अत्यंत उत्साहित कर देने वाले और सभी के लिए प्रेरणास्पद थे। अनगौर की श्रीमति आशा त्रिपाठी ने कहा कि छात्रों से जुड़ाव बढा है। नेगुवां की साधना यादव ने बताया कि पहले वह गुस्सा आने पर छात्रों को पढ़ाती नहीं थी,इस आदत में अब सुधार कर लिया है। डेरा पहाड़ी छतरपुर की निरूपमा वर्मा ने कहा कि *नये साल पर वह कक्षा 7 के सभी छात्रों को डायरी देने वाली हैं जिसमें छात्र अपनी आत्मा की आवाज लिखेंगे।उन्होंने कहा कि उनके स्टाफ ने भले ही अल्पविराम को गंभीरता से न लिया हो पर छात्रों में इसका बहुत प्रभाव है। गुरैया की रेखा त्रिपाठी ने कहा कि *पहले कोई नई जिम्मेदारी मिलती थी तो विद्रोह का भाव आता था पर अल्प विराम के बाद अब खुशी मिलती है।* उन्होंने अल्पविराम के माध्यम से यह जाना कि जिन बच्चों के मां-बाप घर में उनके साथ गाली-गलौज करते हैं वह बच्चे अपने मां-बाप का क्रोध स्कूल लाकर आपस में भी लड़ते-झगड़ते हैं जिसे अल्पविराम के माध्यम से ठीक कर रही हूं। घूरा की लक्ष्मी गोस्वामी ने कहा कि पहले हम बच्चों को मारते थी जिसे बंद कर दिया। धामची की प्रियंका सोनी ने कहा कि उन्होंने अपनी मासूम बेटी पर अब गुस्सा करना बंद कर दिया है। कुर्राहा के दयाशंकर पाण्डेय ने कहा कि नौगांव से लौटकर दूसरे दिन ही अपने मित्र से संबंध ठीक किये, बच्चों से डेली डायरी में रोज उनके अच्छे और खराब कामों को लिखाते हैं। जिससे बच्चे अपने खुद का आंकलन करने लगे हैं। मानपुर के राकेश कुमार सेन नेे कहा कि 2016 से जो रिश्ते खराब थे वह अल्पविराम के बाद ठीक किये। गोपालपुरा के धर्मेन्द्र कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि बच्चों का पढ़ाई से डर दूर कर दिया है। जरूरतमंदों की मदद कर अपनी जमा पूंजी बढ़ा रहा हूं। लहर के संतोष बाजपेयी ने कहा कि पहले शिक्षण में मन नहीं लगता था प्राय: 2 बजे तक स्कूल की डाक बनाता था और खाली समय किसी न किसी की बुराई करता रहता था, पर अब काम करने के बाद 10 मिनिट का शांत समय लेकर रीचार्ज हो जाता हूं। जिन छात्रों का पढ़ाई में मन नहीं लगता उन्हें भी 10 मिनिट का शांत समय देकर उत्साहित कर देता हूं। परिवार में भी सदस्यों को बोलने की आजादी दे दी है। चार मित्र बैठते हैं तो अब पांचवे की निंदा नहीं करते। पहले कोई 10 मिनिट लेट हो जाता था तो उसका उदाहरण देकर अपना बचाव करता था। अब यह सब बंद कर दिया। लुगासी के दीपक वर्मा ने कहा झूंठ बोलना कम कर दिया है, किसी दुखी व्यक्ति को देखता हूं तो मदद के लिए खुद को झोंक देता हूं। सूरजपुरा के ओंकार प्रताप सिंह ने कहा कि पहले छात्र स्कूल से भाग जाते थे  समय पर नहीं आते थे, तो कोई चिंता नहीं करता था पर अल्पविराम के बाद अभिभावकों से मिला और 80 फीसदी तक स्थिति सुधार दी है। पाली के विनोद कुमार संशिया ने कहा कि प्रार्थना के समय अल्पविराम कराकर छात्र जैसा चाहते हैं वैसा हम पढ़ाते हैं। गंज सिजारी के मोतीलाल अहिरवार ने कहा कि *अब गलती स्वीकार करने में और क्षमा मांगने में कोई शर्म नहीं लगती।* बच्चों को अल्पविराम के गीत बहुत अच्छे लगते हैं। सिमरिया के जगदीश प्रसाद वाजपेयी ने कहा कि *अब बच्चे बात मानने लगे हैं, पढ़ाई का स्तर भी सुधरा है।* महेड़ के रोशन सिंह राजपूत ने कहा कि जिन बच्चों पर हिंदी भी नहीं बनती थी उनका भी अब आत्मविश्वास बढ़ा है। मैंने अपनी पत्नि को समझाया कि उसे जिनता स्नेह अपने साढ़े तीन साल के बच्चे से है उतना ही मेरी मां मुझसे स्नेह करती है। सिंहपुर के जीतेन्द्र मिश्रा ने कहा कि मैंने ऐसा प्रशिक्षण न तो कभी देखा था न कभी सुना था, शांत समय लेने के बाद बच्चों की उद्दंडता घट गई है। जिज्ञासा बढ़ी है, वे होमवर्क भी करते हैं । पिछले पांच साल से चाचा से संबंध खराब थे, जिन्हें इस दशहरा पर ठीक कर लिया है। लखनगुवां के हरप्रसाद गुप्ता ने कहा कि उनका गुस्सा कम हुआ है, गलती स्वीकारना शुरू कर दिया है। 6 माह से बंद दोस्ती की फिर शुरूआत की है। लहेरापुरवा के गणेश कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि उनके आवेशित स्वभाव के कारण कुछ बच्चे स्कूल तक छोड़ गये थे, जिस पर काबू पाया है और बच्चे अब वापिस स्कूल आने लगे हैं। स्कूल के आस-पास भी ग्रामीणों से चर्चा कर धुम्रपान बंद कराया, हेण्डपंप के पास सफाई के लिए जागरूकता बढ़ाई। रोज बच्चे अपनी गलतियों के लिए क्षमा पत्र लिखते हैं जिन्हें पंजीबद्ध कर रहा हूं। घर में भी मैंने अपने बच्चों के दिमाग से डर निकाल दिया है। पहले दशहरा के दिन घर बैठा रहता था इस बार खुद घर-घर जाकर मिला। हरपालपुर के अशोक कुमार खरे ने कहा कि *जब भी मन में कोई खिन्नता आती है तो अल्पविराम याद कर लेता हूं। घर पर ज्यादा समय देने लगा हूं। स्कूल में प्रार्थना के समय रोज एक छात्र के गुणों का बखान कर उसकी प्रसंशा करता हूं जिससे पूरे स्कूल का माहौल बदल गया है। अब शिकायतें कम सहयोग अधिक होता है। शंभूसिंह परस्ते ने कहा कि पहले समय की चोरी करता था जिसे सुधार लिया है,  परिवार में 3 साल से भाई-भाई के बीच झगड़ा था। उसे भी सुधार लिया। बराखेरा के दीपनारायण सेन ने कहा कि बचपन में मम्मी फिर मित्र और शादी के बाद पत्नि से पूंछता था कैसा लग रहा हूं सब कहते थे बहुत अच्छे, पर अल्पविराम के बाद यह गलत फहमी दूर हो गई। अब खुद का असली चेहरा पहचानने लगा हूं। स्कूल में बच्चों के साथ हाथ पकड़ कर खेलता हूं और बच्चे भी बहुत प्रसन्न रहते हैं। रामपुर कुर्रा के रामकुमार गुप्ता ने कहा कि समय से स्कूल पहुंचने लगा हूं। भेलसी के श्याम लाल कोरी ने कहा कि नौगांव से लौटकर पहले दिन से ही 10 मिनिट का शांत समय लेने लगा हूं साथ ही तीन टीचर भी अल्पविराम करने लगे हैं। बच्चों में परिवर्तन दिखाई देने लगा है। मैने अपने छोटे भाई से इस दशहरा पर संबंध ठीक किये जो मुझसे कई सालों से बात नहीं कर रहा था। स्कूल को भी और अधिक समय देने लगा हूं। सटई के उमेश गुप्ता ने कहा कि अब मनमाफिक काम न होने पर भी तनाव नहीं होता है। सरकारी स्कूल में ज्यादातर कमजोर बच्चे आते हैं जो आपस में गाली-गलौज भी करते हैं मैंने उन्हें बुलाया और कहा कि बताओ क्या गाली दी। तो बच्चे ने कहा कि मुह पर गाली नहीं दे सकते, तब मैंने कहा कि मन ही मन मुझे गाली दो, इसके बाद से सब कुछ बदल गया। इमलिया के रामअवतार तिवारी ने बताया कि उनके सभी तीन साथी शिक्षक रोज सुबह-शाम अल्पविराम करने लगे हैं। टपरियन के रविशंकर नामदेव ने कहा कि चाचा से संबंध सुधार लिये हैं और स्कूल अब कभी लेट नहीं जाते हैं। रानीपुरा के हरनाथ प्रजापति ने कहा कि अभिभावकों से बार-बार मिलने लगा हूं जिस कारण छात्रों की उपस्थिति बढ़ी है। हर कमरे में डस्टबिन रख दिये हैं जिससे स्कूल में साफ-सफाई बनी रहती है। रिछाई के मानसिंह तोमर ने कहा कि यह मेरे जीवन का ऐसा प्रशिक्षण है जो ऐतिहासिक बन गया है। पहले सीएसी काम की कहता था तो गुस्सा आता था पर अब नहीं। क्षमा मांगना भी सीख लिया है। घर में भी सरल हो गया हूं। मेरा बेटा 12वीं में पढ़ता है जिसे पिछले पांच साल से गले नहीं लगाया था पर अल्पविराम के बाद जब उसे पहली बार गले लगाया तो उसका आनंद ही कुछ और था। अब वह भी अपनी बातें मुझे साझा करने लगा है। माता जी के पास भी रोज 10 मिनिट बैठता हूं तो उनका मन आर्शीवाद से भर जाता है। स्कूल में पिछले 18 साल से विद्युत कनेक्शन नहीं था, मैं भी सोचता था कोई और आकर करेगा पर नौगांव से लौटकर पहली बाल सभा में अल्पविराम के दौरान गलती का एहसास हुआ तो तुरंत बिजली कनेक्शन कराया। विन्दावन तिवारी ने कहा कि शांत समय में लिखे गये विचारों को जब उनकी पत्नि ने पढ़ा तो हंसने लगी कि चलो क्रोध तो बंद किया। हरपालपुर के हरनारायण पाठक ने कहा कि विद्यालय की सफाई और पुताई में पहली बार विद्यालय प्रबंधन समिति के सामने सबकुछ शतप्रतिशत ईमानदारी से किया गया। गुरसारी के जगमोहन पटेल ने कहा कि मैंने सच बोलना शुरू किया तो बच्चे भी सच बोलने लगे हैं। सलैया की लता विश्वकर्मा ने कहा कि क्रोध पर कंट्रोल किया, शाला में सामंजस बनाया। रामपुरकुर्रा की स्वाती पाठक ने बताया कि अब उन्होंने प्रत्येक माह अच्छा बर्ताव करने वाले तीन छात्रों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय ईनाम देना शुरू किया। बच्चों से अल्पविराम में पूंछा उन्हें सर्वाधिक खुशी कब होती है तो उन्होंने कहा कि जब उनके माता-पिता दूर देश से वापिस गांव लौटते हैं। राकेश यादव कुर्राहा ने कहा कि चिड़चिड़ापन खत्म हो गया है। मां और पत्नि के बीच झगड़ा पूर्ण रूप से बंद हो गया है। छात्र अब स्कूल में खुद होमवर्क मांगने लगे हैं। बुडरक के कृष्णकांत चौरसिया ने कहा कि रोज सुबह-शाम मन की शांति और दिन भर की समीक्षा के लिए शांत समय लेता हूं। प्राईवेट स्कूल से बच्चों की टीसी कटाकर सरकारी स्कूल में प्रवेश कराया। कर्री के दयाराम अनुरागी ने कहा कि सीएसी को जीवन में पहली बार धन्यवाद दिया कि उसने इतने अच्छे प्रशिक्षण में जाने का मौका दिया। मेरे पीछे जो भी अच्छा हो रहा है उसके लिए कृतज्ञता ज्ञापित करने मैं भी अच्छा करने लगा हूं। इस साल कक्षा के सभी बच्चों को ठण्ड में अपनी तरफ से स्वेटर दे रहा हूं, रिश्ते भी सुधार रहा हूं। किशनगढ़ के वीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि नौगांव से लौटकर सबसे पहले संस्था के सब छात्रों और साथियों को  इकट्ठा किया और हाथ जोडक़र सबसे माफी मांगी। अब कार्यालय में 1 मिनिट भी नहीं बैठता हूं। जब भी कक्षा से फ्री होता हूं तो बच्चों के साथ ही बैठता हूं। डुगरिया के केशव प्रसाद रावत ने कहा कि अब बार-बार बच्चों के घर जाता हूं जिससे विघालय में  बढ़ी है। सुरई के रामलाल अहिरवार ने कहा कि मुझे अब आनंद का माहौल दिखाई देने लगा है। रामपुर ढिला के वृंदावन तिवारी ने कहा है कि छोटों से नमस्कार करना सीख गया हूं और दूसरों को ध्यान से सुनने लगा हूं। सिमरिया के सियाराम तिवारी ने भी विचार व्यक्त किये। शिक्षकों ने बताया कि कक्षाओं में अब मकड़ी का जाला नहीं मिलेगा। स्कूल उन्हें घर जैसा लगने लगा है। पहले इसलिए मन खराब होता था कि कोई स्कूल का निरीक्षण करने आता था तो उसे 10 अच्छाई भले मिल जायें पर एक भी खराबी मिलने पर वह नोटिस पकड़ा देता था। इससे मन खराब होता था पर अब इस स्थिति से उबर गया हूं। फॉलोअप कार्यक्रम में आनंदम सहयोगी आरबी पटेल, पवन बिरथरे एवं प्रदीप सेन भी उपस्थित थे।        


फोटो :-

      

डाक्‍यूमेंट :-

Document - 1