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*अब मीटिंग, मैपिंग, रजिस्ट्रेशन, बैंकिंग आदि का बहाना छोड़ कर  खुद को धोखा देना बंद कर दिया है*  शिक्षकों ने फालोअप प्रोग्राम में किए विचार साझा

प्रेषक का नाम :- आनंदम सहयोगी लखनलाल असाटी
स्‍थल :- Chhatarpur
29 Oct, 2018

 छतरपुर, लवकुश नगर जनपद शिक्षा केंद्र सभाकक्ष में  लवकुश नगर एवं बारीगढ़ विकासखंड के 25 शासकीय शिक्षकों को अल्पविराम कार्यक्रम का फालोअप प्रशिक्षण दिया गया, इन शिक्षकों को पिछले माह नौगांव के डाइट में तीन दिवसीय आवासीय अल्पविराम प्रशिक्षण दिया गया था! छतरपुर जिले के मास्टर ट्रेनर लखनलाल असाटी ने प्रेरणादायक प्रार्थना और 15 मिनट का शांत समय देने के बाद उनसे अपने विचारों को साझा करने को कहा कि पिछली ट्रेनिंग में उन्होंने जो खुद के नाम पाती लिखी थी जिसमें उन्‍होंने कहा था कि वह खुद में, अपने परिवार में, और अपने स्कूल में क्या परिवर्तन लाना चाहते हैं। इस दिशा में क्या वह एक माह में कुछ कर पाए हैं।  शिक्षक राजेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि अल्पविराम में बहुत सार छिपा है इससे उन्हें बहुत शांति मिली, उन्हें महसूस हुआ कि अभी वह बच्चों को खाई में धकेलने का काम कर रहे थे, पर आप सब कुछ सुधर गया है उन्होंने अभिभावकों को भी जागरूक किया, छात्रों का भी उत्साह बढ़ाया, संस्था की उपस्थिति और पढ़ाई दोनों में सुधार हुआ।  गुढाकला के करंजी अहिरवार ने कहा कि वह रोज सुबह 5 बजे से शांत समय लेते हैं और छात्रों को भी इसका अभ्यास करा रहे हैं जिससे संस्था का वातावरण सकारात्मक हुआ. मिढका बम्होरी के छेदा लाल यादव ने कहा कि उन्होंने अपने खुद में और अपने परिवार में काफी परिवर्तन किया है दिदवारा के अरुण कुमार खरे ने कहा कि उन्होंने गुस्सा त्याग दिया, जितेंद्र सिंह सेंगर ने कहा कि नौगांव से लौटकर सबसे पहले उन्होंने दतिया फोन कर अपनी मां से क्षमा याचना की, बच्चों को मारना पीटना बंद कर दिया, स्कूल भी अब 5 मिनट पहले पहुंच जाता हूं रोज सुबह 4 बजे शांत समय लेता हूं.  घटहरी के अवधेश कुमार प्रजापति ने कहा कि उनकी गुस्सा कम हो जाने से छात्र संख्या बढ़ रही है, बदौरा कला के रामस्वरूप यादव ने कहा कि आवासीय प्रशिक्षण से लौटकर सबसे पहले उन्होंने बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर अपने रिश्ते सुधारे, पत्नी के साथ भी शांत समय लिया.  एक प्रतिभागी राजा बाबू द्विवेदी ने कहा कि अब मन शांत रहने लगा है, जिस कारण स्कूल में भी मन लगने लगा, नरेंद्र कटकवार ने कहा कि अल्पविराम लेने का प्रभाव यह हुआ कि स्कूल में शैक्षणिक कार्यों का समय 1 घंटे बढ़ा गया है, सरबई के देवेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि अब वह घर में गुस्सा नहीं करते हैं, संस्था में भी प्रार्थना का समय  10 मिनट पहले कर दिया है जिससे कि छात्रों को अल्पविराम का महत्व बताया जा सके. चितहरी के रमाशंकर पटेल ने कहा कि अब कार्य बोझ लगना बंद हो गया है और अब कभी स्कूल लेट नहीं होते, स्कूल जाकर हम बच्चों से पहले ही नमस्ते कर लेते हैं, तो बच्चे बड़े आनंदित होते हैं और उसका असर यह हुआ है कि वह कहीं भी किसी रास्ते पर भी देखते हैं तो उनमें पहले नमस्ते करने की होड़ लग जाती है, बच्चों को हमने डांटना फटकारना भी बंद कर दिया है, महुआखुर्द के राकेश प्रसाद पटेल ने कहा कि संस्था में बच्चों की उपस्थिति बढ़ गई है, अभिभावक अब खुद बच्चों को लेकर संस्था में आने लगे है अल्पविराम के गीत बच्चे अपने घरों में गाने लगे हैं, मेरे अपने चाचा से 15 साल से संबंध खराब थे इस दशहरा पर मैंने उनके चरण छुए तो उन्होंने मुझे गोदी में उठा लिया और काफी देर रोते रहे,  मेरे जीवन में  अल्पविराम से बहुत परिवर्तन हुआ । शिक्षक श्री राम करण पटेल ने कहा कि पहले वह ठीक 10:30 बजे घर से स्कूल के लिए रवाना होते थे पर अब वह स्कूल 10:15 बजे पहुंच जाते हैं पढ़ाई अब बोझ नहीं लगती है बच्चे भी आपस में नहीं लड़ते हैं पढ़ाने में भी आनंद आने लगा है।  रेवना के शिव प्रताप सिंह परिहार ने कहा कि बच्चों की झिझक खत्म हो गई है उनमें खुशी दिखाई देने लगी है, और कोई भी उनके स्कूल को देख सकता है कि कितना परिवर्तन हुआ है, जय सिंह परिहार ने कहा कि वह तो चंदला में सार्वजनिक चबूतरे पर खुद से मुलाकात का कार्यक्रम रखते हैं शांत समय दिला कर उन्होंने अनेक लोगों के झगड़े शांत कराए। बिलहरी के सीताराम यादव ने कहा कि अब छुट्टी के बाद भी बच्चे घर नहीं जाना चाहते हैं विद्यालय में पौधरोपण तो किया ही इन पौधों को बच्चे खुद संभाल रहे हैं खुद पानी डाल रहे हैं मैंने अपने गुस्से पर भी काबू पाया है कंचनपुर के अजय सिंह राय ने कहा कि अब तक हुए वह मीटिंग, मैपिंग, रजिस्ट्रेशन, बैंकिंग का बहाना कर पढ़ाई से गायब रहकर खुद को धोखा दे रहे थे पर अब सब कुछ ठीक कर लिया है पत्नी से झूठ बोलना बंद कर दिया है उसके मान सम्मान की रक्षा कर पारिवारिक रिश्ते को मजबूत किया है रोज बच्चों को शांत समय दिलाता हूं और अनुभव कराता हूं कि उनके घर से लेकर स्कूल तक का आज का अनुभव कैसा रहा।  इस कार्यक्रम में आनंदम सहयोगी रमेश व्‍यास  एवं प्रदीप सेन भी उपस्थित रहे।      


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