"जीवन में प्रेम आनंद और उत्सव को टालिये नहीं, जीवन को एक उत्सव की तरह जीयें
जीवन में प्रेम और उत्सव को टालिये नहीं अपने परिजनों और मित्रों के साथ मिलकर जीवन को एक उत्सव की तरह जीयें। आनंदम अल्पविराम कार्यक्रम का आयोजन शा उ मा वि बेटमा में आयोजित किया गया जिसमें डी एल एड के 60 प्रशिक्षणार्थियों ने सहभागिता की । सभी सहभागियों को शांत समय लेकर अपने स्वयं के विषय में सोचते हुए समाज में मेरी उपयोगिता प्रश्न पर 10 मिनिट का अल्पविराम का अभ्यास कराया एवम अपने द्वारा आज तक की गई गलतियों को लिपिबद्ध करने हेतु कहा गया। एक प्रतिभागी शुभाष जैन द्वारा 10 वर्ष पूर्व अपने जीवन में अपने मामा के जेब से ₹50 रूपये चुराना स्वीकार किया,एवम प्रायश्चित स्वरुप आज ही उनसे क्षमा मांगकर में उनके रूपये वापस करने की बात कही। ऐसे बहुत से किस्से प्रशिक्षणार्थियों द्वारा सुनाये गए। एक सज्जन ने कहा हम जीवन में प्रतिदिन कैसे खुश रह सकते हेैै? आनंद विभाग आनंदम सहयोगी प्रफुल्ल शर्मा,एवम विजय मेवाड़ा ने स्पष्ठ किया साल के कौन कौन से त्यौहार आप मानते हो, क्या उन त्योहारों पर आप दुखी होते हो, सम्बंधित ने उत्तर दिया नहीं त्यौहार तो सभी ख़ुशी ख़ुशी मानते हैं। विजय मेवाड़ा ने सामने की दीवार से कैलेंडर उतारते हुए उन्हें देते हुए कहा यह भारतीय कैलेंडर हे जिसमे 365 दिन ही कोई न कोई त्यौहार है आप हर दिन को त्यौहार की तरह अपने घर परिवार और सहकर्मियों के साथ आनंद उठायें।सभी ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सहमति दीऔर अगले अल्पविराम सेशन आयोजित करने हेतु आग्रह किया।
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