जीवंत सामुदायिक जीवन, नागरिकों की जिन्दगी में आनंद का संचार करता है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुये प्रतिवर्ष दिनांक 14 से 28 जनवरी के मध्य ‘’आनंद उत्सव’’ मनाया जाता है।
आनंद उत्सव का उद्देश्य नागरिकों में सहभागिता एवं उत्साह को बढ़ाने के लिये समूह स्तर पर खेल-कूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना है। आनंद उत्सव की मूल भावना प्रतिस्पर्धा नहीं वरन सहभागिता है । आनंद उत्सव, नगरीय और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आयोजित किए जाते है । आनंद उत्सव में प्रमुख रूप से स्थानीय तौर पर प्रचलित परम्परागत खेल-कूद जैसे कबड्डी, खो-खो, बोरा रेस, रस्सा कसी, चेअर रेस, पिठ्ठू, सितोलिया, चम्मच दौड़, नीबू दौड़ आदि तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे लोक संगीत, नृत्य, गायन, भजन, कीर्तन, नाटक आदि एवं स्थानीय स्तर पर तय अन्य कार्यक्रम किये जाते है ।
आनंद उत्सव का आयोजन इस तरह से किया जाता है कि समारोह की गतिविधियों में समाज के सभी वर्गों यथा- महिला-पुरूष, सभी आयु वर्ग के नागरिक, दिव्यांग आदि शामिल हो सकें। इस कार्यक्रम में 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के महिला/पुरूषों, दिव्यांगों एवं बुजुर्गों की विशेष सहभागिता सुनिश्चित करने के लिये आनंद उत्सव के कार्यक्रमों में उनके अनुकूल गतिविधियों का आयोजन किया जाता है ।