एक मशहूर फिल्म का संवाद है "हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते है", ऐसे ही कुछ बाज़ीगर आज इंदौर में मिले वे ऐसे सामान्य लोग थे जिन्होंने दिव्यांगों के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया और दिव्यांग भाई बहनों को प्रोत्साहित करने हेतु खुद रेस हार कर लोगो का दिल जीत लिया, जीत के बाद दिव्यांगों का उत्साहओर खुशी देखने योग्य थी ।यह संकल्पना आनंदम सहयोगी विजय मेवाड़ा की थी*इंदौर दिव्यांगों हेतु विशेष आनंदम कार्यक्रमो का आयोजन*03 दिसंबर 2017
59 वें विश्व दिव्यांग दिवस पर समाज कल्याण परिसर परदेशी पूरा में सामाजिक न्याय एवम निशक्तजन कल्याण विभाग,एवम आनंद विभाग द्वारा दिव्यांगों के हर्षोउल्लाह, आनंद और प्रोत्साहन हेतु विभिन्न गतिविधियों और खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्रीय विधायक माननीय रमेश मेंदोला,उपर कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान, उपर कलेक्टर(विकास) एवम नोडल ऑफिसर आनंद विभाग श्रीमती कीर्ति खुरासिया,संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय विभाग श्री वी के जैन द्वारा दिव्यांगों की 50 मीटर रेस को हरी झंडी दिखाकर किया।तत्पश्चात दिव्यांग शेक्षणिक संस्थाओं द्वारा मार्चपास्ट किया गया। दिव्यांगों में कलात्मक क्षमता उभरने के उद्देश्य से चित्रकला प्रतियोगिता, खेल प्रतियोगिताओं में विभिन्न आयु समूहों में ट्राइसिकल रेस, 50,100एवम 200 मीटर रेस, नींबू रेस,गोला फेंक, चेयर रेस आदि प्रतियोगिताओ का आयोजन श्री शैलेन्द्र सोलंकी, एवम विजय मेवाड़ा के निर्देशन में हुआ।आनंदम सहयोगी श्री विजय मेवाड़ा द्वारा सभी दिव्यांगों को समूह गतिविधि करते हुए एक जोक सुनाकर हंसाया बच्चों द्वारा *मैं आनंद में- दुनिया आनंद में*गतिविधि गोल घेरा बनाकर की गयी। आनंद विभाग की ओर से नोडल ऑफिसर श्रीमती कीर्ति खुरासिया ने उपस्थित सभी लोगो को संबोधित करते हुए आनंद विभाग और इसकी संकल्पना के विषय मे बताते हुए कहा कि इस संसार मे कोई भी परिपूर्ण नही है हर इंसान में कोई न कोई कमियां हैं लेकिन हमारे पास जो है हम उसी में आनंदित क्यों न रहें?क्यों कि जीवन खत्म हो जाता है लेकिन व्यक्ति की अपेक्षाएं कभी खत्म नही होती, हम अपेक्षाओं से ध्यान हटाकर जो हमारे पास है उसका आनंद उठाएं वर्तमान पर ध्यान केंद्रित कर आज का आनंद उठाएं दुनिया मे असंभव कुछ नही है अरुणिमा सिन्हा पहली दिव्यांग युवती हैं, जिन्होंने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। वे वॉलीबॉल और फुटबॉल की नेशनल खिलाड़ी थी एक ट्रेन हादसे में उन्होंने उनका एक पैर खो दिया।पर हौसला बरकरार था एक पैर होने के बावजूद बछेंद्रीपाल जी के निर्देशन में उन्होंने मॉन्टेवरेस्ट फतेह किया। हाल ही में उन्हें भारत की सौ सबसे महत्वपूर्ण महिलाओं में चुना गया है। इसलिये हम सब एक दूसरे की मदद और सहयोग करते हुए उद्देश्यपूर्ण ओर आनंदमयी जीवन जियें। श्रवणबाधितों हेतु सांकेतिक अनुवाद श्रीमती मृदुला चौहान ने किया जिला प्रशासन द्वारा उक्त दिवस पर दिव्यांगजनो हेतु स्वास्थ्य शिविर, डेंटल चेकअप,निशक्तता प्रमाणपत्र एवम यूनिवर्सल आई डी भी जारी किये। इस अवसर पर बड़ी संख्या में पालक,अभिभावक,समाज सेवी एवम अधिकारी, कर्मचारी गण उपस्थित थे।
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