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आनंद ग्राम

प्रस्‍तावना

राज्‍य आनंद संस्‍थान द्वारा प्रदेश के नागरिकों को जीवन में आतंरिक आनंद की अनुभूति कराने के लिए आनंदकों (स्‍वैच्छिक कार्यकर्ता) के माध्‍यम से आनंद के विविध कार्यक्रमों का क्रियान्‍वयन किया जा रहा है ।

संस्‍थान के समस्‍त कार्यक्रमों को एकसाथ किसी एक ग्राम में नियमित व सतत् संचालन से उस ग्राम के समस्‍त लोगों की आतंरिक खुशी बढाने हेतु ‘’आनंद ग्राम / बस्‍ती’’ की परिकल्‍पना की गई है।

साथ ही संस्‍थान के समस्‍त कार्यक्रमों एवं गतिविधियों को एक निश्चित जन समूह के साथ व्‍यवस्थित संचालन कर उसका उन पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने के लिए आवश्‍यक है कि किसी ग्राम अथवा बस्‍ती में इनका एक साथ क्रियान्‍वयन किया जाये। इस हेतु आनंद ग्राम की परिकल्‍पना की गई, जहॉ राज्‍य आनंद संस्‍थान द्वारा विकसित / चयनित आनंद के टूल्‍स का स्‍थानीय लोगों को सीधे उपयोग हेतु प्रोत्‍साहित किया जाए। इन टूल्‍स के उपयोग से लोगों के जीवन में आए परिवर्तन का ऑकलन कर अपने कार्यक्रमों को निरंतर बेहतर बनाने का प्रयास किया जाये।

किसी भी ग्राम अथवा नगर के विकास के लिए सबसे बड़े संसाधन वहां के लोग होते हैं। स्‍थानीय समस्‍याओं का हल स्‍वयं/ समाज द्वारा ही ज्‍यादा बेहतर ढंग से हो सकता है। अपने पास उपलब्‍ध सीमित संसाधनों में भी किस प्रकार आंनदित रहा जा सकता है इसका उपाय भी वहां के लोग स्‍वंय ही कर सकते हैं। प्रत्‍येक समाज में कुछ लोग होते हैं जो स्‍वैच्छिक भाव से समाज के विकास एवं उत्‍थान के लिये कार्यरत होते हैं, यदि ऐसे लोगों को जागरूक, क्षमता सम्‍पन्‍न एवं सशक्‍त कर दिया जाए तो वे अधिक प्रभावी एवं व्‍यवस्थित तरीके से समुदाय की सहभागिता से समाज के आंतरिक विकास के लिए कार्य कर सकेंगें। ऐसे स्‍वप्रेरणा से प्रयासरत लोगों को प्रशिक्षित कर सशक्‍त आनंदक के रूप में विकसित करने हेतु राज्‍य आनंद संस्‍थान द्वारा आनंद ग्राम/ बस्‍ती की परिकल्‍पना कि गई है।


उदेश्‍य

  1. व्‍यक्ति, व्‍यक्ति से परिवार, परिवार से ग्राम समाज तक लोगों की आतंरिक खुशी को बढाना
  2. आतंरिक खुशी के सभी टूल्‍स को एक साथ किसी एक ग्राम में क्रियान्वित कर उसके प्रभाव का अध्‍ययन करना
  3. इनके अनुभवों से निकले सीख का संस्‍थान के कार्यक्रमों को और प्रभावी बनाने में उपयोग करना।
  4. गांव की वर्तमान परिस्थितियों, साधन, सुविधाओं के साथ भी खुश रहते हुये गांव की समस्‍याओं को मिलजुल कर दूर करने की योग्‍यता विकसित करना
  5. अन्‍य ग्रामों के लिये मॉडल के रूप में तैयार करना

रणनीति

  1. ग्राम या बस्‍ती का चयन- जिला कलेक्‍टर द्वारा जिले में राज्‍य आनंद संस्‍थान के जिला संपर्क व्‍यक्ति, आनंदम सहयोगियों एवं स्‍थानीय आनंदक समूह के माध्‍यम से प्रारम्‍भ में अपने जिले के किसी एक ग्राम या बस्‍ती का चयन किया जावेगा। गॉंवों/बस्‍ती की संख्‍या आगामी समय में बढाई जा सकेगी। ग्राम का चयन वहां के लोगों की सहमति के उपरान्‍त ही किया जाना चाहिऐ।
  2. प्रारंभिक बैठक एवं चर्चा- चयनित ग्राम / बस्ती में प्रवेश के लिए तथा लोगों के साथ रिश्‍ता कायम करने के लिये सर्वप्रथम ग्राम / बस्ती में 3-4 बार भ्रमण कर केवल लोगों से चर्चा की जायेगी। ताकि लोग इसे
  3. प्रारंभिक बैठक एवं चर्चा- चयनित ग्राम / बस्ती में प्रवेश के लिए तथा लोगों के साथ रिश्‍ता कायम करने के लिये सर्वप्रथम ग्राम / बस्ती में 3-4 बार भ्रमण कर केवल लोगों से चर्चा की जायेगी। ताकि लोग इसे कोई नई शासकीय योजना या कार्यक्रम के रूप में न लेवें। विभिन्‍न समूहों के लोगों से चर्चा के दौरान अपनी ओर से कोई कार्यक्रम या गतिविधि प्रस्‍तुत नहीं की जावेगी बल्कि उन्‍हीं लोगों के माध्‍यम से ग्राम / बस्ती को खुशहाल बनाने हेतु की जा सकने वाली गतिविधियों की पहचान कराई जावेगी। इसमें ग्राम / बस्तीवासी स्‍वयं जिम्‍मेदारी लेकर कैसे अन्‍य लोगों, शासन तथा संस्‍थाओं का सहयोग लेकर ग्राम / बस्ती को खुशहाल बना सकते है। राज्‍य आनंद संस्‍थान केवल फेसिलेटर का कार्य करेगा, ग्राम / बस्ती के लोग ही इस कार्यक्रम की संपूर्ण जिम्‍मेदारी लेगें ताकि यह सस्‍टेनेबल एवं रिप्लिकेबल मॉडल बन सकें। उनको यह स्‍पष्‍ट रहें कि ग्राम में बाहरी सुविधा, साधनों, सेवाओं को उपलब्‍ध या ठीक कराने की लोगो की अपेक्षा को वरीयता देने की बजाय हम लोगो की आंतरिक खुशहाली पर ही कार्य करेगें ।
  4. संपर्क- समस्‍त शासकीय एवं अशासकीय पदाधिकारियों जैसे स्‍थानीय सरपंच,पार्षद, महिला बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक, आंगनवाडी कार्यकर्ता, स्‍थानीय स्‍कूल के शिक्षक, क्षेत्र में कार्यरत स्‍वयं सेवी संस्‍थाओं एवं स्‍वयं सेवकों की पहचान कर उनसे संपर्क स्‍थापित करना।
  5. चयनीत ग्राम का PRA ‘’ग्रामीण सहभागी आकलन’’ कर लेवे । जिसमें ग्राम की सामुदायिक आंतरिक खुशहाली की वर्तमान स्थिति (कार्यक्रम शुरू होने से पहले की स्थिति) का, सामाजिक कुरीतियां, सामाजिक सदभाव जैसे नशा, अपराध, लिंगभेद, घरेलू हिंसा, एकता आदि पर सामान्‍य जानकारी PRA के आधार पर तैयार कर लेवे ।
  6. किसी ऐसे व्‍यक्ति को चिन्‍हांकित कर लेवे जो स्‍वैच्‍छा से अपनी खुशी के लिए हमारे साथ इस ग्राम को ‘’आनंद ग्राम’’ के रूप में तैयार करने के लिए सहमत हो ।
  7. इस ‘ग्राम आनंदक’ को धीरे-धीरे राज्‍य आनंद संस्‍थान के सभी कार्यक्रमों से जोड़ते जाए। उसे संस्‍थान के सभी कार्यक्रमों से अवगत करावे ।
  8. इस ‘ग्राम आनंदक’ को विशेष प्रशिक्षण दिया जावेगा।
  9. ‘ग्राम आनंदक’ को सबसे पहले राज्‍य आनंद संस्‍थान द्वारा संचालित ऑनलाईन अल्‍पविराम कार्यक्रम में सम्मिलित करावे फिर उसे आनंदम सहयोगी, आनंदम सहयोगी रिफ्रेशर, UHV शिविर, मास्‍टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण करवा सकते है ।
  10. ग्राम/बस्‍ती मे अपने हस्‍तक्षेप के दौरान पूरी प्रक्रिया का विस्‍तृत प्रोसेस डॉक्‍यूमेंट बनाते रहे। जिसमें भ्रमण के दौरान आने वाली समस्‍या, चुनौती एवं हस्‍तक्षेप (Intervention), नवाचार लिखते जावें। जिससे भविष्‍य के लिए हमारे लिये एक डॉक्‍यूमेंट तैयार हो जावेगा, जो हमारे स्‍वयं के लिए भी एवं अन्‍य जिलों के लिए भी केस स्‍टेडी के रूप में उपयोगी होगा।
  11. नियमित अतंराल के पश्‍चात आनंद ग्राम रिट्रिट एवं देश-प्रदेश में विकसित मॉडल विलेजो का भ्रमण कराया जावेगा।

कार्यक्रम

  1. अल्‍पविराम प्रशिक्षण- ग्राम / बस्ती के सभी लोगों को अल्‍पविराम कार्यक्रम से गुजारा जावेगा। इसे चरणबद्ध रूप से आयोजित होने वाले अल्‍पविराम प्रशिक्षण में लोगों को नि:शुल्‍क पंजीयन के माध्‍यम से शामिल कराया जावेगा। प्रथम चरण में शास‍कीय लोगों को जैसे- शिक्षक, ग्राम / बस्ती सचिव, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सरपंच एवं ग्राम / बस्ती के प्रभावशाली व्‍यक्तियों को शामिल किया जावेगा। उसके पश्‍चात ग्राम / बस्ती स्‍तर पर ही ऐसे प्रशिक्षण आयोजित किये जावेगे।
  2. अल्‍पविराम सत्र– ग्राम / बस्तीवासी नियमित रूप से अल्‍पविराम ले सकें, इसके लिए ग्राम / बस्ती में निर्धारित समय एवं स्‍थान पर अल्‍पविराम सत्र करने हेतु व्‍यवस्‍था की जावेगी।
  3. आनंद क्‍लब का गठन- कार्य करने के इच्‍छुक महिला एवं पुरूषों का एक आनंद क्‍लब गठित किया जायेगा। इसी क्‍लब के माध्‍यम से ग्राम / बस्ती में कार्य किया जावेगा। आनंद ग्राम / बस्ती की संपूर्ण जिम्‍मेदारी इस क्‍लब की होगी राज्‍य आनंद संस्‍थान केवल फेसीलेटर की भूमिका में होगा ताकि यह एक स्‍टेनेबल मॉडल बन सकें तथा स्‍थानीय लोगों में स्‍वामित्‍व का भाव रहें। इससे वे अपने आप का जुड़ाव महसूस कर सकें।
  4. आनंद क्‍लब के सदस्‍यों का क्षमता संर्वधन- प्रथम चरण में आनंद क्‍लब के सदस्‍यों का राज्‍य आनंद संस्‍थान द्वारा आयोजित होने वाले अल्‍पविराम प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्‍यम से प्रशिक्षित किया जायेगा।
  5. बाल संस्‍कार केन्‍द्र (वात्‍सल्‍य आनंद)– ग्राम / बस्ती के विद्यालय में 5वीं कक्षा तक के बच्‍चों के साथ संस्‍कार केन्‍द्र का संचालन किया जावेगा। इस गतिविधि के तहत शिक्षकों के साथ चर्चा कर बच्‍चों में अच्‍छी आदतों का विकास जैसे –कृतज्ञता के रूप में माता-पिता के प्रतिदिन चरण स्‍पर्श करना, मदद के रूप में घर तथा स्‍कूल में दूसरों के कामों में हाथ बटाना, सहपाठियों की मदद करना, सीखने के लिये स्‍कूल में कोई सृजनात्‍मक गतिविधि करना, स्‍वयं की सफाई, माता-पिता, भाई-बहनों व परिवार के अन्‍य सदस्‍यों के साथ बातचीत व सम्‍बोधन का तरीका, अपनी पुस्‍तके, कपड़े, सामग्री आदि को व्‍य‍वस्थित रखना आदि बातें पर चर्चा की जावेगी और इन व्‍यवहारों को अपनाने वाले बच्‍चों को प्रोत्‍साहित किया जावेगा।
  6. आनंद सभा- ग्राम / बस्ती को आनंद सभा के लिये चयनित किया जावेगा तथा वहां के शिक्षकों को इसका प्रशिक्षण देकर स्‍कूल में नवमीं से बारहवीं तक के छात्रों के लिये आनंद सभा का संचालन किया जावेगा।
  7. आनंद उत्‍सव– ग्राम / बस्ती में नियमित अंतराल पर आनंद उत्‍सव का आयोजन किया जायेगा।
  8. आनंदम केन्‍द्र (नेकी की दीवार)– ग्राम / बस्ती में उपयुक्‍त स्‍थल पर आनंदम केन्‍द्र (नेकी की दीवार) की स्‍थापना की जावेगी । जहां पर लोग अपने आवश्‍यकता के अतिरिक्‍त वस्‍तुएं जिन्‍हें उनकी आवश्‍यकता है, उनके लिये छोड़ सकेंगे जिनको उन वस्‍तुओं की आवश्‍यकता है वे इस केन्‍द्र से प्राप्‍त कर सकें। वस्‍तुओं के अतिरिक्‍त इस केन्‍द्र से मानवीय सेवाओं का भी आदान-प्रदान किया जा सकेगा। केन्‍द्र के संचालन का उत्‍तरदायित्‍व ग्राम / बस्ती के ही इच्‍छुक व्‍यक्ति, स्‍वैच्छिक संस्‍था, आनंद क्‍लब ले सकेंगे।
  9. आनंद कैलेण्‍डर– समस्‍त आनंद क्‍लब के सदस्‍यों को नि:शुल्‍क आनंद कैलेण्‍डर एप के रूप में उपलब्ध कराया जायेगा एवं उसे उपयोग करने का प्रशिक्षण भी दिया जावेगा। ग्राम / बस्ती में आनंद कैलेण्‍डर की थीम के आधार पर नियमित रूप से चर्चा / परिचर्चा आयोजित की जाकर उस गतिविधि को करने हेतु ग्राम / बस्ती के लोगों को प्रोत्‍साहित किया जावेगा।
  10. सामुदायिक सहभागिता की गतिविधियां– ग्राम / बस्ती में लोगों के बीच सामुदायिकता को बढ़ाने के लिये ग्राम / बस्ती के सार्वजनिक स्‍थानों पर जैसे- चबूतरे, मंदिर, सामुदायिक भवन, खेल मैदान का ग्राम / बस्ती के लोगों की मदद से व्‍यवस्थिकरण करने की गतिविधि संचालित की जावेगी। इसी क्रम में ग्राम / बस्ती में साफ-सफाई, पेयजल स्‍थल के आस-पास की साफ-सफाई , सार्व‍जनिक भवनों का रंग-रोगन आदि कार्य करने हेतु ग्राम / बस्ती के लोगों को प्रोत्‍साहित किया जावेगा।
  11. खेलकूद– लोगों को व्‍यस्‍त रखने हेतु शाम के समय स्‍थानीय स्‍थल पर प्रचलित खेलकूद गतिविधयां इंडोर-आउटडोर गेम्‍स यथा – वॉलीवॉल, कब्‍बडी, फुटबॉल, केरम, शतरंज आदि आयोजित की जावेगी। आउटडोर खेलों के लिये विद्यालय अथवा ग्राम / बस्ती के पास उपलब्‍ध भूमि को खेल के मैदान के रूप में स्‍थानीय युवकों के श्रमदान के माध्‍यम से तैयार किया जावेगा।
  12. लायब्रेरी- ग्राम / बस्ती के लोगो के लिये उपयोगी साहित्य उपलब्‍ध कराने हेतु ग्राम / बस्ती में एक सार्वजनिक लायब्रेरी की स्‍थापना स्‍थानिय भागीदारी से की जावेगी।
  13. रिक्रिएशन सेन्‍टर– ग्राम / बस्ती के भवन अथवा सामुदायिक भवन में जन भागीदारी से रिक्रिएशन सेन्‍टर की स्‍थापना की जावेगी। इसके लिए ग्राम/ बस्ती के पदाधिकारियों से चर्चा कर स्‍थान निश्चित किया जावेगा। सेन्‍टर पर खेल सामग्री- वॉलीबॉल, बेट-मिन्‍टन, केरम, गेंद आदि की व्‍यवस्‍‍था ग्राम/ बस्ती के पास उपलब्‍ध निधि से किया जावेगा।
  14. पढ़ाने में मदद- बड़ी कक्षा के बच्‍चे अपने से छोटे बच्‍चों को पढ़ने में मदद करेंगे। इसके लिए उचित स्‍थान का चयन कर वहां मूलभूत व्‍यवस्‍था जैसे- बैंच, टाट पट्टी, ब्‍लैक बोर्ड, रोशनी के लिये बल्‍ब आदि को स्‍थानीय विद्यालय, ग्राम / बस्ती अथवा समुदाय के सहयोग से किया जावेगा। पढ़ने तथा पढ़ाने वाले बच्‍चों की पहचान कर उनका शिक्षक समूह बनाया जाकर कक्षा का समय निश्चित किया जावेगा।
  15. आनंदम सहयोगी एवं मास्‍टर ट्रेनर- ग्राम / बस्ती में से ही कुछ लोगों को आनंदम सहयोगी व मास्‍टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जावेगा।
  16. स्‍वास्‍थ्‍य जागरूकता- ग्राम / बस्ती में स्‍वास्‍थ्‍य जागरूकता के लिये योग, व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता, व्‍यायाम, खान-पान की सही आदतों के बारे में जानकारी देने तथा आवश्‍यक गतिविधियां आयोजित करने के प्रयास किये जावेगें। इस प्रक्रिया में स्‍थानीय संस्‍थाओं का सहयोग लिया जा सकेगा।
  17. फिल्‍म शो- ग्राम / बस्ती विकसित करने के क्रम में ग्राम / बस्ती के लोगों को किसी उपयुक्‍त स्‍थल जैसे- सामूदायिक भवन, स्‍कूल आदि पर विशिष्‍ठ फिल्‍म शो का आयोजन किया जावेगा। इस क्रम में देश व विदेश में सामूदायिक प्रयासों से विकसित हुए गांव/बस्तियों की कहानी प्रदर्शित की जावेगी। इसके अलावा लोगों को सकारात्‍मक सामाजिक बदलाव के मुद्दों पर आधारित प्रेरणादायक फिल्‍में दिखाई जावेगी।
  18. सामाजिक बुराईयों के प्रति जागरूकरता- ग्राम / बस्ती मे सामाजिक बुराईयों जैसे- शराबखोरी, नशा, घरेलू हिंसा, महिलाओं एवं जातिगत भेदभाव आदि के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिये तथा इन बुराईयों को दूर करने के लिये इन मुद्दों पर समझ रखने एवं कार्य करने वाले स्‍थानीय संस्‍थाओं के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाया जावेगा।
  19. भजन-कीर्तन- लोगों को बुरी आदतों से बचाने के लिये तथा सकारात्‍मक गतिविधियों में व्‍यस्‍त रखने हेतु नियमित रूप से निर्धारित समय पर शाम के वक्‍त सार्वजनिक स्‍थान पर भजन-कीर्तन का आयोजन किया जावेगा। इसी क्रम में प्रात: काल प्रभातफेरी भी निकाली जावेगी। इस हेतु जनसहयोग से ढ़ोल-मंजीरा, हारमोनियम आदि उपलब्‍ध कराया जावेगा।
  20. मदद एवं सहयोग- ग्राम / बस्ती में उपरोक्‍त कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के संचालन हेतु आवश्‍यक संसाधन जुटाने के लिये व्‍यक्तिगत दान / कॉरपोरेट सोशल रिस्‍पॉसिलिबिटी (सी.एस.आर.) / दाता संस्‍थाओं एवं अन्‍य संस्‍थाओं से मदद ली जा सकती है । इसके अलावा अपने कार्यक्रमों के बेहतर संचालन हेतु विशेषज्ञ व्‍यक्तियों/ संस्‍थाओं में भी सहयोग प्राप्‍त किया जा सकता है ।