अपरिचित बुजुर्ग की मदद्/ सेवा का आनंद
इस समय डिंड़ौरी जिले के ग्रामीण रोजी रोटी की तलाश में बहुतायत संख्या में शहर में आ रहे हेैं। इनमें बहुत ही कम लोगों को आनंदम् ( दुआओं का घर ) के विषय में पता नहीं होता है। ऐसे ही बुजुर्ग हरे सिंह धुर्वे ( जनजाति ) ग्राम-दूबा, वि.ख.व तहसील शहपुरा जिला-डिंड़ौरी निवासी हैं। जो रिक्सा चलते हुए आनंदम् ( दुआओं के घर ) मंड़ला के सामने से निकल रहे थे।उनके तन पर गंदी एवं फटी शर्ट देखकर , “’’दादा “’को रोककर आनंदम् के अंदर लाया। हरे सिंह पहने तो धोती थे, लेकिन काम में सुविधा की दृष्टि से पेंट की इच्छा प्रकट की। चूंकि ग्रामीणों के अशिक्षित होने के कारण कपड़े की सही साइज के चुनाव में कठिनाई होती है। हरे सिंह की कदकाठी देखकर एक अच्छी गुणवत्तापूर्ण पेंट निकालकर दिया, और पहनने आग्रह किया जिससे वह संतुष्ट हो सके। पेंट पहनने के बाद हरे सिंह धुर्वे ने कहा कि “” तोला कैसे आंदाज रहे न बिलकुल फिट हो गयिस। मैने भी मुस्कुराते हुये कहा कैसे आंदाज न होई, तीन साल से इंहा काम करथूं ।……..