दूसरों की निस्वार्थ मदद करके आप भी देखें, मन में अद्भुत खुशी का अनुभव होगा
आनंदम कार्य के सिलसिले में आज दोपहर स्कीम नंबर 78 इंदौर के मुख्य मार्ग पर में खड़ा था मैंने देखा कि एक व्यक्ति जो चलने में असमर्थ था, अपने शरीर केचुओं की तरह रेंगता हुआ चल रहा था। आसपास के सब लोग अपने काम मे व्यस्त थे। मेरे अंतर्मन से आवाज आई मुझे इसकी मदद करनी चाहिए। मैै उस इंसान के पास पहुंचा और कहा भाई आप चल नही पा रहे हो, मैैं आपको सहारा दूँ क्या? उसने कहा भैया सामने से ऑटो स्टैंड से ऑटो बुलवा दीजिये में उससे चला जाऊंगा। मैन कहा कहाँ जाना है आपको- उसने कहा गौरी नगर,। मैने उसके लिए ऑटो बुलवाया लेकिन 3-4 ओटो वालों ने यह साोचकर की यह आदमी कंगाल,और शराबी लगता है उसे ऑटो में नही बिठाया।
जब किसी ने उसे ऑटो में नही बिठाया और लोगों ने मुझे भी कहा कि आप अपने रास्ते जाओ यह तो चला जायेगा तो मेरे मन मे विचार आया यह बेचारा 4 कि.मी.इस तरह रेंगते हुए कैसे जाएगा,मैने मोटरसायकल खड़ी कर सहारा देते हुए उसे बैठाया और उसे गौरी नगर छोड़कर आया । मन को आत्मीय आनंद की अनुभूति हुई।